नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर बच्चों की बढ़ती मौजूदगी को लेकर दुनियाभर में चिंता गहराती जा रही है। ऑस्ट्रेलिया द्वारा 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर रोक लगाने के बाद अब यूरोप से भी इसी तरह की सख्ती के संकेत मिल रहे हैं। डेनमार्क सरकार ने नाबालिगों की ऑनलाइन गतिविधियों पर लगाम कसने के लिए बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर ली है। सरकार का मानना है कि बच्चों की डिजिटल सुरक्षा अब केवल जागरूकता या सलाह तक सीमित नहीं रह सकती, बल्कि इसके लिए मजबूत कानून जरूरी हो गए हैं।
संसद में बनी व्यापक सहमति
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, डेनमार्क की संसद में इस मुद्दे पर राजनीतिक सहमति बन चुकी है। सत्तारूढ़ गठबंधन के तीन दलों के साथ दो विपक्षी पार्टियों ने भी 15 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया बैन का समर्थन किया है। अगर यह कानून लागू होता है, तो इसे यूरोपीय यूनियन के सबसे सख्त डिजिटल नियमों में से एक माना जाएगा। प्रस्ताव है कि यह कानून 2026 के मध्य तक लागू कर दिया जाए। हालांकि कुछ खास परिस्थितियों में माता-पिता को 13 साल से ऊपर के बच्चों के लिए सीमित सोशल मीडिया उपयोग की अनुमति देने का विकल्प मिल सकता है।
क्यों फेल हो गए पुराने नियम
यूरोप में पहले से ही 13 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया अकाउंट पर रोक के नियम मौजूद हैं, लेकिन ये नियम व्यवहार में कारगर साबित नहीं हो पाए। आंकड़ों के अनुसार, डेनमार्क में करीब 98 फीसदी बच्चे 13 साल की उम्र से पहले ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर सक्रिय हो जाते हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि 10 साल से कम उम्र के लगभग आधे बच्चे भी अपना डिजिटल प्रोफाइल चला रहे हैं। इसी वजह से सरकार को मौजूदा नियमों को नाकाफी मानते हुए सख्त कानून की जरूरत महसूस हुई।
डिजिटल अफेयर्स मंत्री का सख्त संदेश
डेनमार्क की डिजिटल अफेयर्स मंत्री कैरोलीन स्टेज ने बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने कहा कि जैसे किसी क्लब या इवेंट में उम्र की जांच होती है, वैसे ही डिजिटल दुनिया में भी उम्र सत्यापन जरूरी होना चाहिए। इसी दिशा में सरकार “डिजिटल एविडेंस” नाम की एक नई ऐप लाने की तैयारी कर रही है, जिसे अगले साल वसंत ऋतु तक लॉन्च किया जा सकता है। इस ऐप के जरिए यूजर्स को अपनी उम्र का डिजिटल प्रमाण देना होगा।
ऑस्ट्रेलिया के फैसले से मिली दिशा
ऑस्ट्रेलिया पहले ही सोशल मीडिया कंपनियों पर सख्त कार्रवाई का रास्ता अपना चुका है। वहां लागू नए नियमों के तहत Facebook, Instagram, TikTok और YouTube जैसे प्लेटफॉर्म्स को 16 साल से कम उम्र के बच्चों के अकाउंट हटाने होंगे। नियमों का उल्लंघन करने पर कंपनियों पर करीब 33 मिलियन डॉलर तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। डेनमार्क का प्रस्तावित कानून भी इसी वैश्विक रुझान की ओर इशारा करता है, जहां बच्चों की डिजिटल सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है।
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