आतंकियों को धन मुहैया करवाने के मामले में तथा आतंकी नवीद बाबू के साथ बातचीत के एनआईए के खुलासे के बाद पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती गुरुवार को श्रीनगर में स्थित स्थानीय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के कार्यालय में पेश हुईं। लगभग लगभग एक घंटे चली इस पूछताछ में उनसे हवाला राशि से जुड़े कई सवाल-जबाव किए गए और उनके बयान रिकार्ड किए गए।

आतंकियों के साथ गठजोड़ मामले में फंसी महबूबा
ईडी के अधिकारियों से महबूबा ने दिल्ली की बजाय श्रीनगर में पूछताछ करने का अनुरोध किया था। एजेंसी ने उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया और पूछताछ के लिए दिल्ली से भी 5 सदस्यीय टीम यहां पहुंची है।
उधर, बुधवार को आतंकियों के साथ गठजोड़ के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का नाम सामने आया। जम्मू-कश्मीर के निलंबित डीएसपी दविंदर सिंह मामले में शामिल आतंकवादी नवीद बाबू के साथ बातचीत के बारे में राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने खुलासा किया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने दविंदर मामले में दाखिल पूरक चार्जशीट में दावा किया है कि महबूबा डीएसपी के साथ गिरफ्तार हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी नवीद बाबू के बारे में जानती थीं और उससे एक बार बात भी कर चुकी हैं।
जम्मू कश्मीर में राजनीति और अलगाववाद को जिंदा रखने के लिए कश्मीर से संबंधित पार्टियां व अलगाववादी नेता आतंकवाद को बढ़ावा देने में लगे हुए थे ताकि उनकी रोटियां पकती रहें। इसी बीच केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद यह सब प्रक्रिया धीरे-धीरे समाप्त होना शुरू हो गयी है और अब राष्ट्रीय जांच एजेंसियां अलगाववाद पर नकेल कसने के बाद उन प्रमुख पार्टियों को अपना निशाना बना रही हैं, जिनके सम्बन्ध आतंकवादियों से रहे हैं।
कई नेताओं के संबंध रह चुके हैं आतंकियों के साथ:-
1999 में गठित पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी पर पहले ही दिन से आतंकियों के साथ गठजोड़ के आरोप लगते रहे हैं। वर्ष 2002 में पीडीपी की जीत में हिजबुल मुजाहिदीन और जमात-ए-इस्लामी के सहयोग की बात होती रही है। उस समय दक्षिण कश्मीर में सक्रिय काचरू, शब्बीर बदूड़ी और आमिर खान जैसे हिजबुल आतंकियों के साथ भी महबूबा के तथाकथित संबंधों की बात होती थी। फिलहाल ये सभी आतंकी कमांडर मारे जा चुके हैं। जम्मू-कश्मीर में आतंकी-राजनीतिक गठजोड़ बहुत पुराना है और इसमें केवल पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ही नहीं, नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के नेता व कार्यकर्ता भी शामिल रह चुके हैं।
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने भी अगस्त 2006 में राजनेताओं और आतंकियों के गठजोड़ पर ऐतराज जताया था और उन्हें नेस्तनाबूद करने की बात कही थी।
सिंतबर 2002 में गुजरात के अक्षरधाम मंदिर में आत्मघाती हमले की साजिश कथित तौर पर पीडीपी के तत्कालीन कृषि मंत्री अब्दुल अजीज जरगर के कुलगाम स्थित मकान में रची गई थी। उनके मकान से ही आतंकी हमले के लिए रवाना हुए थे। इसका पर्दाफाश एक पाकिस्तानी आतंकी मंजूर जहूर की डायरी से हुआ था। तत्कालीन मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने मामले को तूल पकड़ने पर कहा था कि जिस मकान की बात हो रही है, वहां अजीज जरगर नहीं रहते लेकिन आज तक पता नहीं चल पाया कि जरगर के उस मकान में पुलिस के पहरे के बीच आतंकी कैसे रहते थे।
जनवरी 2006 में पुलिस ने गांदरबल से पीडीपी के एक काउंसलर अब्दुल वाहिद डार को पकड़ा था। वह 1994 तक हरकतुल अंसार का आतंकी था और 1999 में वह पीडीपी का कार्यकर्ता बना था। 2005 में उसने म्यूनिसिपल चुनाव लड़ा था। कहने के लिए वह पीडीपी नेता था लेकिन 2003 के बाद से वह लश्कर का एक सक्रिय आतंकी था। उसने मुफ्ती मोहम्मद सईद और गुलाम नबी आजाद पर आत्मघाती हमलों की साजिश रची थी। वह एक बार दिल्ली में महबूबा के कथित सरकारी निवास पर रुका था।
2005 में पीडीपी के तत्कालीन शिक्षा मंत्री गुलाम नबी लोन की हत्या में लिप्त लश्कर आतंकियों के संबंध भी कथित तौर पर पीडीपी के कुछ खास नेताओं के साथ होने का उस समय दावा किया गया था। 2004 में पुलिस ने नेशनल कांफ्रेंस के एक पूर्व विधायक को गिरफ्तार किया था। उसने अपनी कार में हिजबुल के एक नामी कमांडर को अमृतसर पहुंचाया था। अमृतसर से यह आतंकी पाकिस्तान भाग गया था और आज भी वह वहीं पर है।
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शोपियां का रहने वाला कांग्रेस का एक नेता गौहर अहमद वानी दिसंबर 2020 में आतंकियों के साथ कथित संबंधों के आरोप में पकड़ा गया। दिसंबर 2005 में पुलिस ने कांग्रेस व नेकां के दो नेताओं शकील अहमद सोफी व शब्बीर अहमद बुखारी को पकड़ा था। ये दोनों लश्कर के लिए काम करते थे। बीते साल ही पुलिस ने डीएसपी देवेंद्र सिंह व आतंकी नवीद के नेटवर्क से जुड़े भाजपा के एक नेता को भी गिरफ्तार किया था। यह नेता भाजपा के टिकट पर शोपियां से विधानसभा चुनाव लड़ चुका है। इस तरह जम्मू कश्मीर में आतंकियों का कई नेताओं के साथ गठजोड़ नया नहीं बल्कि बहुत पुराना है। इसकी पूरी जांच होनी चाहिए।
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