ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वे के दौरान प्राप्त पत्थर स्तंभ के शिवलिंग प्रमाणित होने से पहले ही उसकी पूजा और राग-भोग के अधिकार के दावे पेश होने लगे हैं।
काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के अध्यक्ष उस स्तंभ के पूजन का अधिकार मांग चुके हैं, अब मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी पूजन-शृंगार आदि के अधिकार के लिए मुकदमा दायर करने की तैयारी में हैं। डॉ. तिवारी ने कहा कि विश्वेश्वर मंदिर में पूजापाठ की जिम्मेदारी उनके पूर्वज ही उठाते रहे हैं। साढ़े तीन सौ वर्षों के बाद जब बाबा का पुन: प्रकटीकरण हुआ है तो पूजापाठ का अधिकार महंत परिवार को मिलना चाहिए। बोले, इस अधिकार के लिए मैं जिला अदालत में वाद दाखिल करने की तैयारी कर रहा हूं। सब कुछ योजना के अनुरूप रहा तो 23 मई को वाद दाखिल हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि मस्जिद के तहखाने में अभी कई और शिवलिंग विराजमान हैं। वर्ष 1991 में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाए जाने तक पं. केदारनाथ व्यास वर्ष में एक बार तहखाने में जाकर सभी देव विग्रहों का पूजन करते थे। अब उनके परिजन सिर्फ शृंगार गौरी के मसले तक सिमट कर रह गए हैं। ऐेसे में विश्वेश्वर लिंग सहित उस परिसर में विराजमान सभी शिवलिंगों के नित्य पूजन अर्चन का अधिकार महंत परिवार को मिलना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि गत गुरुवार को श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडेय ने भी अदालत एवं सरकार से अनुरोध किया था कि मामले का निस्तारण होने तक तक पूजा-पाठ का अधिकार न्यास को दिया जाए।