जमीयत उलेमा ए हिंद के 34 वें अधिवेशन (Jamiat Ulema-e-Hind) में महमूद मदनी ने ऐसे बयान दे दिए थे जिसके बाद देश भर में हंगामा मचा है भारत को इस्लाम का जन्म स्थान मदनी ने कहा इसी के साथ मदनी ने यह भी बोला कि भारत का सबसे पुराना धर्म इस्लाम ही है फिलहाल अब उन्होंने अपने बयान पर माफी भी मांगी है.
एक कार्यक्रम में महमूद मदनी ने अपने विवादित बयान और उसको लेकर चल रहे हंगामे पर बात की. मदनी ने कहा कि जो कुछ हुआ है उसकी वह कल्पना भी नहीं कर रहे थे. मदनी ने बोला जो हो रहा है वह दुर्भाग्यपूर्ण है. पर ऐसा नहीं होना चाहिए था. उन्होंने कहा कि इस्लाम सबसे पुराना धर्म है और मैं यह बात मानता हूं इसमें कोई बाल गलत बात नहीं है.
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इस में है पूरी सच्चाई
इसके आगे उन्होंने कहा कि “बहुत से लोग बहुत कुछ मानते हैं और ये उनका अधिकार है, जो मुझे लगता है मैं बोल रहा हूं ये मेरा अधिकार है… हमें नहीं मालूम था कि इस पर किसी को क्यों आपत्ति हो रही है. ये बात रिसर्च के बाद कही गई है और इसमें पूरी सच्चाई है. ये कोई नई बात नहीं है.”
ज्ञात हो कि जब जमीयत उलेमा-ए-हिंद के मंच पर महमूद मदनी ने इस्लाम को लेकर यह बात बोल रहे थे तो लोकेश मुनि उनसे गुस्सा होकर वहां से चले गए थे, जिस पर मदनी ने कहा कि जब हम अलग धर्म के लोगों के साथ बैठते हैं, तो कुछ रिस्क तो होते ही हैं और ये कैलकुलेटेड रिस्क था.
इसके आगे उन्होंने बोला कि “मेरे दिल में सर्व धर्म संसद के लिए सम्मान है, मैं बहुत पहले से उससे जुड़ा हुआ हूं. जाने-अनजाने में उनको जो ठेस पहुंची है, या किसी और भी बुरा लगा है तो मैं उसके लिए 100 बार माफी मांगने को तैयार हूं. मेरे किसी बयान से किसी के दिल को ठेस पहुंच जाए, ये मुझे और मेरे इस्लाम को मंजूर नहीं है.”
34वें आम सत्र में एक नई बहस छेड़ते हुए कहा, “इस्लाम का जन्म स्थान भारत है न कि अरब… भारत इस्लाम का जन्म स्थान है. यह मुसलमानों की मातृभूमि है. इस्लाम को एक विदेशी धर्म के रूप में मानना ऐतिहासिक रूप से गलत और पूरी तरह निराधार है.”
महमूद मदनी ने कहा, “भारत हम सभी का समान रूप से है. भारत हमारा देश है. यह उतना ही (प्रधानमंत्री) नरेंद्र मोदी और (आरएसएस प्रमुख) मोहन भागवत का है जितना महमूद (मदनी) का है. न महमूद उनसे एक इंच आगे है, न वे महमूद से एक इंच आगे हैं.”