इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन (इप्सेफ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी मिश्र एवं महामंत्री प्रेमचंद्र ने पुनः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजकर आग्रह किया है कि केंद्रीय एवं राज्य के कर्मचारियों की मांगों पर मिल बैठकर समाधान किया जाए। खेद का विषय है कि शासन के उच्च अधिकारी भी बातचीत करके समाधान निकालने का प्रयास नहीं करते हैं। संभवतः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तो बात करना तवहीनी समझते हैं। संवादहीनता के कारण आंदोलन तेजी पकड़ रहा है। जिसका प्रदेश के चुनावों में प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। कर्मचारियों शिक्षकों के नाराजगी भारी पड़ेगी।
पिछले एक माह से चल रहा कर्मचारियों का आंदोलन
उत्तर प्रदेश में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद एवं कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा का लगभग एक माह से आंदोलन चल रहा है पर मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव बातचीत तक नहीं कर रहे हैं।
कर्मचारियों की प्रमुख मांग है कि-
- वेतन समिति की संस्तुतियों को लागू करके सातवें वेतन आयोग का पूरा लाभ दिया जाए। नियमावलीया बनाई जाए।
- लॉकडाउन में काटे गए वेतन, भत्ते व डी ए के किस्तों का एरियर सहित भुगतान किया जाए।
- पुरानी पेंशन को बहाल किया जाए क्योंकि पेंशन के बिना सेवानिवृत्त कर्मचारियों का जीवन दूभर हो जाएगा।
- भारत सरकार एक देश एक वेतन सुविधाएं देने हेतु राष्ट्रीय वेतन आयोग का गठन किया जाए।
- सरकारी संस्थानों विभागों का निजीकरण ना किया जाए, सार्वजनिक निगमों उपक्रमों को सुदृढ़ करके उनमें व्याप्त भ्रष्टाचार को दूर करके उन्हें काम करते रहने का मौका दिया जाए। निजी करण से मोनोपोली होने के कारण महंगाई बढ़ेगी। उदाहरणार्थ पेट्रोल, डीजल, गैस के दाम आसमान छू रहे हैं।
- आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारियों के लिए नीति बना करके उन्हें वाजिब वेतन एवं सुरक्षा प्रदान की जाए।
- कर्मचारियों को कैशलेस इलाज की सुविधा प्रदान की जाए।
- रिक्त पदों पर नियमित भर्तियां एवं पदोन्नति या की जाए।
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अतः हम आपसे पुनः आग्रह करते हैं कि आंदोलनरत कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों से बातचीत करके आपसी सद्भाव का वातावरण बनाए।