गुजरात हाई कोर्ट की जज जस्टिस गीता गोपी ने राहुल गांधी की अपील पर सुनवाई करने से खुद को अलग कर लिया है। राहुल गांधी ने खुद को दोषी ठहराए जाने और दो साल की सजा निलंबित करने की मांग को लेकर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। राहुल गांधी को आपराधिक मानहानि मामले में निचली अदालत ने यह सजा सुनाई है।

जज ने राहुल गांधी का मामला सुनने से खुद को अलग किया
‘सभी चोरों का सरनेम मोदी है’ वाली अपनी आपत्तिजनक टिप्पणी पर सजा के खिलाफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी गुजरात हाई कोर्ट में अपील लेकर पहुंचे हैं। लेकिन, अब हाई कोर्ट की जज जस्टिस गीता गोपी ने उनकी अपील सुनने से ही खुद को किनारे कर लिया है। जस्टिस गोपी के इस फैसले के बाद अब हाई कोर्ट के किसी दूसरे जज को यह मामला सौंपा जाएगा।
राहुल के वकील ने तत्काल सुनवाई की मांग की
राहुल गांधी ने हाई कोर्ट से अपनी सजा पर स्थगन आदेश जारी करने की मांग की है। उनके वकील पीएस चंपानेरी ने जस्टिस गीता गोपी की अदालत केस मेंशन किया और तत्काल सुनवाई की मांग की।
सरकारी वकील ने तत्काल सुनवाई की मांग का विरोध किया
सरकारी वकील ने उनका यह कहकर विरोध किया कि मामले को अर्जेंट सर्कुलेशन के लिए अनुमति मिलनी चाहिए, लेकिन तत्काल सुनवाई के लिए नहीं। हालांकि चंपानेरी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यह एक निजी शिकायत है और सरकार को इससे कोई मतलब नहीं है।
‘नॉट बिफोर दिस कोर्ट’
थोड़ी देर तक मामले को सुनने के बाद जस्टिस गोपी ने इससे खुद को अलग कर लिया। उन्होंने कोर्ट रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि मामले को वापस चीफ जस्टिस के पास भेजें, ताकि दूसरी बेंच को मामला सौंपा जाए। इस मुकदमे की सुनवाई की अगुवाई से अलग हटते हुए उन्होंने लिखा, ‘नॉट बिफोर दिस कोर्ट।’
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