लखनऊ में लगेगा लोक कलाकारों का मेला, सुनाई पड़ेगी लोक धुनें

प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लोक कलाकारों का मेला लगेगा। इस मेले में प्रदेश के लोक संगीत के अलावा महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, ओडिशा, पंजाब व छत्तीसगढ़ के लोक संगीत और संस्कृति की झलक देखने का अवसर पर मिलेगा। लोक संस्कृति को समर्पित संस्था सोनचिरैया के स्थापना के दस वर्ष पूरे होने पर आयोजित लोक संगीत के उत्सव ‘देशज’ में लोक कलाकारों को आमंत्रित किया गया है।

यह जानकारी ‘सोनचिरैया’ की सचिव प्रसिद्ध लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने बुधवार को दी है। उन्होंने बताया 16 दिसम्बर से शुरू हो रहे उत्सव का आयोजन गोमती नगर के डॉ राम मनोहर लोहिया पार्क के खुले मंच पर किया जाएगा। उत्सव का उद्घाटन प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल करेंगी।

बातचीत में लोक गायिका ने बताया कि इस तीन दिवसीय उत्सव में महाराष्ट्र का लावणी लोक नृत्य देखने का मिलेगा। इस नृत्य को वहां का सबसे लोकप्रिय नृत्य शैली के रूप में जाना जाता है। ओडिशा के गोट्टिपुआ लोक नृत्य को भी यहां के दर्शक देख सकेंगे। यह ओडिशा का एक पारम्परिक नृत्य है। इस नृत्य में भगवान जगन्नाथ और कृष्ण की भक्ति में किया जाता है। उत्तर प्रदेश का पाई डंडा, राई, फरवाही, करमा, चरकुला व धोबिया नृत्य देखने को मिलेगा। यह नृत्य अलग-अलग अवसरों पर किया जाता है। गुजरात राज्य के गरबा और डांडिया नृत्य की भी प्रस्तुति होगी। यह वहां का एक प्रचलित रास लोक नृत्य है। यह देवी की उपासना में किया जाता है। डांडिया की इतनी लोकप्रियता बढ़ गई है कि गुजरात राज्य की सीमा से निकलकर अब देश के अन्य राज्यों में भी किया जाने लगा है।

उत्सव में इसके अलावा पंजाब के लोक गायक जसबीर जस्सी, गुजरात के अनवर खान, बस्तर के बैण्ड के संगीत को भी सुनने को मिलेगा। इसके अलावा उत्सव के एक कार्यक्रम ‘मुक्तिगाथा’ में उन गीतों का सुनने का अवसर मिलेगा, जिसको अंग्रेजी सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया था।

लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने बताया कि यह उत्सव सभी जन के लिए है। सभी का इसमें न्यौता है, इसलिए इसे पूरी तरह से निःशुल्क रखा गया है। अपनी लोक संस्कृति को जन-जन पहुंचाना ही इस उत्सव का उद्देश्य है।