कासगंज। कासगंज जनपद के पूर्वोत्तर भाग में स्थित दरियावगंज की झील के दिन बहुरने वाले हैं। यहां जिलाधिकारी के निर्देश पर इस झील को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किए जाने का कार्य वन विभाग द्वारा प्रारंभ कर दिया गया है। जल्द ही यहां सैलानियों पक्षियों का पहुंचने का सिलसिला प्रारंभ हो जाएगा। इसके बाद यहां पहुंचने वाले यहां पर्यटकों के लिए भी झील का मनमोहक दृश्य अवलोकन के लिए उपलब्ध रहेगा।
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जिलाधिकारी सीपी सिंह पिछले एक वर्ष से जनपद की आदत भूमि को विकसित करने के लिए प्रयासरत हैं। इसी क्रम में उनके द्वारा जनपद की सबसे बड़ी दरियावगंज की झील को चयनित किया है। यहां धीरे-धीरे विकास कार्य प्रारंभ करा दिए गए हैं। वन विभाग इस कार्य को बखूबी अंजाम दे रहा है। यहां सबसे पहले झील के आसपास का क्षेत्र को सम्मिलित किया गया है। इसके पश्चात साफ सफाई आज की व्यवस्था पूर्ण करा कर संबंधित विभाग ने यहां तमाम तरह के पर्यटक को से संबंधित स्थल तैयार किए हैं।
जिलाधिकारी सीपी सिंह ने जानकारी देते हुए बताया है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप वैकल्पिक रोजगार एवं विकास के लिए जनपद में प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए दरियावगंज झील को चिन्हित किया गया है। इस झील के विकसित होने से दरियावगंज का विकास विकसित होगा। लोगों को रोजगार के साधन जनपद में ही उपलब्ध हो इसके लिए यह एक प्रयास किया जा रहा है।
जिला वन अधिकारी दिवाकर वशिष्ठ के मुताबिक 101 हेक्टेयर भूमि पर फैली दरियावगंज की झील को गोखुर आद्र भूमि संरक्षण का नाम देकर यहां का विकास किया जा रहा है। यहां 12 आईलैंड तैयार किए गए हैं। यहां पौधारोपण किया जाएगा। जिससे पशु पक्षियों को काफी राहत मिलेगी। इन्हें इको टूरिज्म के रूप में विकसित किया जा रहा है। यहां बाहरी पक्षियों के आने की पूरी संभावना है। स्थानीय पक्षी यहां पहुंच रहे हैं। यहां लोगों को रोजगार भी प्राप्त हो रहा है। कमल का फूल, कमल ककड़ी, मखाने एवं मछली यहां के लोगों को रोजगार के रूप में प्राप्त हो सकेंगे।
उन्होंने बताया इस विकास के लिए शासन की ओर से पांच करोड़ का अनुदान प्राप्त होने की संभावना बनी हुई है। अब तक जो भी राशि प्राप्त हुई है। उससे यहां विकास कार्य कराए गए हैं।
अर्धचंद्राकार है झील का आकार
जिला वन अधिकारी दिवाकर वशिष्ट के मुताबिक दरियावगंज की झील ऐतिहासिक झील है। इसका आकार चंद्राकार है। गूगल मैप पर इसे आलोकित करने पर गाय के खुर की तरह इसका आकार प्रदर्शित होता है। इसी आकार के अनुरूप इस के संरक्षण के लिए गोखुर आद्र भूमि संरक्षण नाम दिया गया है।
जरी जरदोजी व्यवसाय को मिलेगा बढ़ावा
जिलाधिकारी सीपी सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि दरियावगंज, पटियाली, गंजडुंडवारा, सहावर इलाके में जरी जरदोजी का कार्य स्थानीय लोगों द्वारा जोर शोर से किया जाता है। यहां के लोगों का जरी जरदोजी प्रमुख व्यवसाय हैं। जब दरियावगंज झील विकसित होगी, यहां पर्यटकों एवं सैलानियों का पहुंचने का सिलसिला प्रारंभ होगा। तब इस जरी जरदोजी के कार्य को स्वत: ही पंख लग जाएंगे। यहां के व्यवसायी इस झील के विकास से काफी लाभान्वित होंगे।