मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश सरकार के चार वर्षों के दौरान उपलब्धियों और बेहतर कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए कहा कि इस दौरान कहीं अव्यवस्था नहीं फैलने दी गई, राजनीति का अपराधीकरण नहीं होने दिया गया। गुंडागर्दी के साथ सख्ती से निपटना, जीरो टॉलरेंस की पार्टी की नीति पर चलते हुए कार्य किया गया। उसी का परिणाम है कि जो गुंडे सत्ता का संचालन करते थे, आज दूसरे राज्यों में जाकर जान की भीख मांग कर अपना मुंह छुपाए बैठे हैं। उन्होंने कहा कि ये सत्ता की धमक है। यह केवल भारतीय जनता पार्टी दे सकती है कोई और नहीं दे सकता है।
उप्र कार्यसमिति की बैठक में बोले सीएम योगी, कोरोना संक्रमण काल के दौरान हुआ अभूतपूर्व कार्य
मुख्यमंत्री योगी सोमवार को इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में भाजपा उत्तर प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के समापन के मौके पर बोल रहे थे। उन्होंने कोरेाना संक्रमण काल में लॉकडाउन के दौरान भाजपा कार्यकताओं के कार्यों की सराहना की और कहा कि सेवा ही संगठन का भाव है। यह सेवा ही संगठन को नई परिणिति के रूप में एक बार फिर सामने ला सकता है। इसमें बराबर हमें अपनी भूमिका का निर्वहन करना होगा। उन्होंने कहा कि कोरोना के दौरान कितना बड़ा कार्य हुआ है, यह सबके सामने है। इसके बेहतर परिणाम भी सबके सामने आए हैं, अभूतपूर्व कार्य हुआ है।
चार साल पहले और आज की परिस्थितियों से सभी वाकिफ
मुख्यमंत्री ने कहा कि लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना है। उन्होंने कहा कि जब प्रदेश कार्यसमिति यहां पर बैठी हुई है, उन स्थितियों में बहुत सारे ऐसे कार्य होने हैं जिन कार्यों को लेकर अभी प्रदेश की छवि को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठित करना है, उसे बहुत मजबूती से हम नई दिशा में ले जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि सभी कार्यकर्ता सार्वजनिक जीवन में कार्य करते रहे हैं और उत्तर प्रदेश के अलावा देश और दुनिया के अंदर तमाम जगहों पर वह जाते रहे हैं। सभी लोग ईमानदारी के साथ सोचें तो चार वर्ष पहले जब आप उत्तर प्रदेश के बाहर जाते थे तो उत्तर प्रदेश के बारे में जनता और दूसरे राज्यों व देशों की क्या राय बनती थी। उन्होंने कहा कि और आज चार वर्ष के बाद जब आप उत्तर प्रदेश के अंदर अपनी सरकार के कार्य को देखते होंगे और तब कहीं जाते होंगे तब लोगों की क्या राय है, यह भी सभी के सामने है।
कार्यक्रमों के मुताबिक ही बनती है जनता की राय
मुख्यमंत्री ने कहा कि जैसी आप भूमिका तैयार करेंगे, जिस प्रकार की कार्य योजना बनाएंगे, जिस प्रकार के कार्यक्रमों को करेंगे, उसी प्रकार की राय लोगों की बनेगी। उन्होंने कहा कि चार वर्ष के अन्दर प्रदेश में कोई दंगा नहीं होना, ये सरकार की उपलब्धि है। प्रदेश के अंदर सरकार अपने कार्यक्रम को आगे बढ़ाती है, लेकिन उसकी ताकत कार्यकर्ताओं से प्राप्त होती है।
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में उप्र को 14वें स्थान से दूसरे पर पहुंचाया
उन्होंने कहा कि भाजपा ने जिस शुचिता की बात की थी, वह आज हर क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि हर एक स्तर पर यह बदलाव नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बड़े मंच पर अक्सर ‘ईज ऑफ डूइंग’ बिजनेस का जिक्र करते हैं। उन्होंने कहा कि 2016 में उत्तर प्रदेश में इसमें 14वें स्थान पर था। देश और दुनिया के निवेशक को निवेश करना होता तो कोई 14वें स्थान वाले राज्य पर क्यों निवेश करता।किसी भी निवेशक की प्राथमिकता पहले तीन राज्य होते हैं। उन्होंने कहा कि और आज उत्तर प्रदेश इस लिहाज से दूसरे स्थान पर है। यह भाजपा कार्यकर्ताओं के बल पर है। प्रदेश के अंदर हुए विकास के कार्यों से प्रदेश की अर्थव्यवस्था में तेजी आई है, आज प्रदेश का राजस्व एक लाख करोड़ रुपये का है।
कोरोना को लेकर बरतें सतर्कता, आग और पानी से नहीं खेला जाता
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कोरोना संक्रमण को लेकर सतर्कता बरतने की नसीहत देते हुए कहा कि कोरोना गया नहीं है हमें पूरी तरह से सावधानी और सतर्क रहना है, आग और पानी से खेला नहीं जाता। समाज के हर तबके को वैक्सीन लगाई जा रही है, किसी से कोई भेदभाव नहीं है, जो वैक्सीन पांच हजार रुपये की है वह देशवासियों को फ्री में लगाई जा रही है।
यह भी पढ़ें: आमिर की पोस्ट ने फैंस को दिया झटका,एक्टर ने सोशल मीडिया अकाउंट किया डिलीट
पहले से ही थी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग, लोग कर रहे गुमराह
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 से पहले प्रदेश में किसान के गेहूं, दलहन, तिलहन के लिए सरकारी खरीद की व्यवस्था ठीक नहीं थी जबकि हमारी सरकार ने रिकॉर्ड धान की खरीददारी की और पैसा सीधे किसानों के खाते में पहुंचाया गया। उन्होंने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पहले से ही थी, बैद्यनाथ कम्पनी पहले से यह काम कर रही है, यह विकल्प है बाध्यता नहीं है, दूसरे गुमराह कर रहे हैं। मंडी सुविधा किसानों के लिए है अगर कोई किसान अपनी उपज को दूसरे जनपद में बेचना चाहता है तो उसे कोई रोक नहीं सकता। पहले मकई का रेट 1100 रुपये था जिसे 1800 रुपए किया गया, जिसका लाभ किसानों को हुआ।