अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की खुदकुशी मामले में बड़ा खुलासा हुआ है. महंत नरेंद्र गिरी की खुदकुशी के मामले में बिना किसी लिखित तहरीर के खुदकुशी की एफआईआर दर्ज की गई थी. इतना ही नहीं, महंत नरेंद्र गिरी के करीबी शिष्य अमर गिरी व पवन महाराज ने पुलिस को सिर्फ मौखिक तौर पर इसकी सूचना दी दी थी. इसी मौखिक सूचना के आधार पर ही जार्ज टाउन थाने में आनन-फानन में खुदकुशी की एफआईआर दर्ज कर ली गई थी.
दरअसल, महंत नरेंद्र गिरी की खुदकुशी मामले में दोनों शिकायतकर्ता अमर गिरी व पवन महाराज ने जांच एजेंसी सीबीआई को दिए गए बयान में भी पुलिस में सिर्फ मौखिक सूचना दिए जाने की बात कही है. न्यूज 18 के पास इन दोनों शिकायतकर्ता द्वारा सीबीआई को दिए गए बयान की कॉपी भी मौजूद है. सीबीआई ने अमर गिरी व पवन महाराज के बयानों को प्रमाणित कर उन्हें कोर्ट में दाखिल भी किया है.
सीबीआई को दिए बयान में शिकायतकर्ता अमर गिरी और पवन महाराज का कहना है कि पुलिस ने उनसे धोखे से सादे कागज पर दस्तखत करा लिए थे. उन्होंने दावा किया कि महंत नरेंद्र गिरी के शव का पंचनामा करने की बात कह कर पुलिस ने उनसे दस्तखत कराए थे. उन्होंने लिखित तौर पर पुलिस में कोई शिकायत की ही नहीं थी.
अमर गिरी और पवन महराज ने शपथ पत्र देकर मुकदमा वापस लेने की भी अदालत में इच्छा जताते हुए कहा कि पुलिस ने मनमाने तरीके से आनंद गिरी को नामजद करते हुए उनके खिलाफ केस दर्ज किया और उनकी गिरफ्तारी कर ली. इसी वजह से वह अपनी तरफ से दर्ज एफआईर को वापस लेना चाहते हैं और साथ ही इस एफआईआर के आधार पर किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं चाहते. अमर गिरी और पवन महाराज ने हाईकोर्ट में हलफनामा देकर अपनी तरफ से दर्ज की गई एफआईआर को वापस लिए जाने की अपील की है.
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इन दोनों के वकील नीरज तिवारी का दावा है कि हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल करने के बाद से उन्हें डराया धमकाया जा रहा है. उन पर एफिडेविट वापस लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है. एफआईआर वापस लेने की अर्जी लगाने के बाद से दोनों के जानमाल को खतरा हो गया है. प्रशासन को दोनों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने चाहिए. बता दें कि न्यूज 18 ने ही कल ही सबसे पहले एफआईआर करने वाले शिष्यों द्वारा केस वापस लिए जाने का हलफनामा लगाए जाने की जानकारी दी थी.