पुलिस ने शुक्रवार की नमाज से पहले जामा मस्जिद में सुरक्षा बढ़ा दी, निषेधाज्ञा लागू कर दी और फ्लैग मार्च किया। यह दावा किया गया है कि मुगलकालीन मस्जिद मूल रूप से हिंदू धर्म के लिए महत्वपूर्ण एक प्राचीन मंदिर का स्थल थी। एक याचिका के बाद स्थानीय अदालत के आदेश पर मंगलवार को मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया, जिसमें दावा किया गया था कि इस स्थल पर मूलतः हरिहर मंदिर था।
सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन, जो याचिकाकर्ता भी हैं, ने मंगलवार को बताया कि याचिका में केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार, मस्जिद समिति और संभल के जिला मजिस्ट्रेट को पक्ष बनाया गया है।
सोशल मीडिया पर भी रखी जा रही कड़ी नजर
संभल के पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार विश्नोई ने बताया कि याचिका और उसके बाद हुए सर्वेक्षण के मद्देनजर पुलिस ने इलाके में फ्लैग मार्च किया और लोगों को चेतावनी दी कि इस मुद्दे पर अराजकता फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि मौलवियों से कहा गया है कि वे सभी को सूचित करें कि उन्हें अपनी मस्जिदों में ही नमाज अदा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर भी कड़ी नजर रखी जा रही है।
जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेसिया ने कहा कि क्षेत्र में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है, जिससे पांच से अधिक लोगों के एकत्र होने पर रोक लग गई है।
मुग़ल बादशाह बाबर ने ध्वस्त किया था हिन्दू मंदिर
मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए अदालत में याचिका दायर करने वाले वकील विष्णु शंकर जैन ने दावा किया है कि मुगल सम्राट बाबर ने 1529 में मंदिर को आंशिक रूप से ध्वस्त कर दिया था। उन्होंने कहा था कि हम सभी जानते हैं कि संभल में हरिहर मंदिर हमारी आस्था का केंद्रीय हिस्सा है। यह एएसआई संरक्षित क्षेत्र है। एएसआई संरक्षित क्षेत्र में किसी भी तरह का अतिक्रमण नहीं किया जा सकता। वहां कई ऐसे चिह्न और प्रतीक हैं जो हिंदू मंदिर के हैं।
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विष्णु शंकर जैन और उनके पिता हरि शंकर जैन ने ज्ञानवापी-काशी विश्वनाथ विवाद सहित पूजा स्थलों से संबंधित कई मामलों में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व किया है।
सपा सांसद ने जताया था ऐतराज
समाजवादी पार्टी (सपा) सांसद जिया उर रहमान बर्क ने इस घटनाक्रम पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था संभल की जामा मस्जिद ऐतिहासिक और बहुत पुरानी है। सुप्रीम कोर्ट ने 1991 में आदेश दिया था कि 1947 से जो भी धार्मिक स्थल जिस स्थिति में हैं, वे अपने स्थान पर ही रहेंगे।