उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में बीते 13 अक्टूबर को माँ दुर्गा की मूर्ति के विसर्जन के दौरान हुई सांप्रदायिक हिंसा मामले में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। यह खुलासा इस हिंसा के दौरान घायल पद्माकर दीक्षित ने एक न्यूज पोर्टल से बातचीत करते हुए किया। उन्होंने बताया कि वह हिंसा के दौरान मौके पर मौजूद थे और सबकुछ उनके सामने हुआ। उन्होंने बताया कि विसर्जन जुलूस पर हमले की घोषणा मस्जिद के लाउडस्पीकर से की गई थी। हालांकि, बहराइच पुलिस ने इससे इनकार किया है।
न्यूज पोर्टल से बातचीत करते हुए पद्माकर दीक्षित ने बताया कि जुलूस के दौरान वह मां दुर्गा की मूर्ति लेकर चल रहे थे। घटना में लगी चोटों का उपचार करवाकर उन्हें घर भेज दिया गया। उन्होंने बताया कि वे लोग भगवान की प्रतिमा के साथ आगे बढ़ रहे थे, तभी एक पत्थर आकर लगा और मूर्ति का हाथ टूट गया। इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, दूसरा पत्थर आकर गिरा, जिससे मूर्ति की गर्दन क्षतिग्रस्त हो गई।
इसके बाद मूर्ति और हिंदुओं पर पत्थर फेंके गए, जिससे भगदड़ मच गई और हिंदू अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। पद्माकर दीक्षित ने भी मुस्लिम भीड़ को आते देख अपनी जान बचाने के लिए भागना शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि इस भगदड़ के दौरान उन्होंने एक मस्जिद से घोषणा सुनी। मस्जिद से ‘अल्लाह हू अकबर। जो भी मिले उसे मार डालो’ का नारा लगाया जा रहा था। उनके अनुसार, इस्लामवादियों ने कहा कि जितने ज़्यादा हिंदुओं को मारोगे, उतना ज़्यादा इनाम मिलेगा।
हिंसा में कई नाबालिग भी हुए थे घायल
मुस्लिमों की भीड़ को देखकर और भी अफरा-तफरी मच गई। श्रद्धालुओं में बच्चे भी शामिल थे और लोग उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित हो गए। उन्होंने खुलासा किया कि हमले में कई नाबालिग भी घायल हुए हैं, लेकिन उनके परिवार डर के कारण उनके नाम नहीं बताना चाहते। उन्होंने यह भी बताया कि हिंसक भीड़ में कुछ मुस्लिम महिलाएं भी शामिल थीं, वे छतों से श्रद्धालुओं पर पत्थर फेंक रही थीं।
इसके अलावा, कट्टरपंथी भीड़ में बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल थे, जो हथियार लहराते हुए सड़कों पर निकले थे। उनके पास लाठी और धारदार हथियार भी थे।
पहले से की गई थी हमले की तैयारी
पद्माकर दीक्षित ने बताया कि हिंदू पक्ष के कई बुजुर्ग शांति की अपील कर रहे थे, लेकिन मुस्लिम समुदाय से कोई भी ऐसा करते नहीं देखा गया। उन्होंने बड़ी संख्या में कांच की बोतलों पर आश्चर्य व्यक्त किया और आश्चर्य जताया कि हमलावरों को ये बोतलें कैसे मिलीं।
उन्होंने खुलासा किया कि महाराजगंज बाजार में कोल्ड ड्रिंक या सॉफ्ट ड्रिंक का कोई वितरक नहीं है। ऐसे में इतनी सारी बोतलें पहले से कैसे रखी जा सकती थीं? उन्होंने संकेत दिया कि अचानक पत्थरों की बौछार और आग्नेयास्त्रों का दिखना इस बात का संकेत था कि अब्दुल हमीद और उसके दोस्त पहले से ही हमले की तैयारी कर रहे थे।
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उन्होंने बताया कि पुलिस ने मदद करने के बजाय हिंदुओं को दौड़ा-दौड़ाकर लाठीचार्ज किया, जिससे कई लोग घायल हो गए, जिनमें वह भी शामिल है। इतना ही नहीं, हमले में किसी का हाथ टूट गया, तो किसी का चेहरा फट गया। आखिरकार वह अपनी जान बचाकर खेतों के रास्ते घर की ओर भागा, लेकिन रास्ते में ही वह बेहोश हो गया।
उन्होंने बताया कि उसके साथियों ने उसे होश में लाने के लिए पानी छिड़का और घर पहुंचाया, जिसके बाद उसके परिजन उसे इलाज के लिए महसी के एक अस्पताल ले गए। उनके पैरों में अभी भी चोट के निशान हैं और उनका इलाज चल रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।