जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने से पहले ही सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ़्ती को नजरबंद कर लिया गया था। उन्हें 434 दिनों तक नजरबंद रखा गया था। बीते महीने ही इन नजरबंद से रिहा हुई महबूबा अब एक बार फिर कानूनी शिकंजे में कसती नजर आ रही हैं। इसकी वजह बीते दिन महबूबा द्वारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को लेकर दिया गया विवादित बयान है।

महबूबा मुफ़्ती ने दिया था विवादित बयान
दरअसल, बीते दिन महबूबा मुफ़्ती ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर धारा 370 को लेकर मोदी सरकार को जमकर घेरा था। इसी दौरान उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज को लेकर भी विवादित टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा कि हम राष्ट्रीय ध्वज को तभी उठाएंगे, जब हमारे राज्य के ध्वज को वापस लाया जाएगा। राष्ट्रीय ध्वज केवल इस (जम्मू -कश्मीर) ध्वज और संविधान वजह से है। हम इसी ध्वज के कारण देश के बाकी हिस्सों से जुड़े हुए हैं।
अब महबूबा के इस बयान की चौतरफा आलोचना शुरू हो गई है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों ने उनके बयान की निंदा की है। भाजपा ने उनके इस बयान को देशद्रोह बताया है और मांग की है कि महबूबा के खिलाफ देशद्रोह के आरोप में कार्रवाई की जाय।
जम्मू-कश्मीर भाजपा के अध्यक्ष रविन्दर राणा ने कहा कि मैं लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा जी से अनुरोध करूंगा कि वो इस देशद्रोही टिप्पणी का संज्ञान लें और महबूबा पर देशद्रोह के तहत मुकदमा दर्ज किया जाय और उन्हें सलाखों के पीछे भेजा जाय।
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एक न्यूज एजेंसी से बातचीत करते हुए सूबे के बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि हम अपने ध्वज, देश और मातृभूमि के लिए खून की हर बूंद का बलिदान कर देंगे। जम्मू और कश्मीर हमारे देश का एक अभिन्न अंग है, इसलिए केवल एक ध्वज ही फहराया जा सकता है और वह है राष्ट्रीय ध्वज।
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उन्होंने कहा कि मैं महबूबा जैसे नेताओं को चेतावनी देता हूं कि वे कश्मीर के लोगों को भड़काने की कोशिश न करें। हम किसी को भी शांति, सामान्यता और भाईचारे को बिगाड़ने की अनुमति नहीं देंगे। अगर कुछ भी गलत होता है, तो उसे इसके परिणाम भुगतने होंगे।
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