PM नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो प्रोग्राम मन की बात के 100वें एपिसोड में कहा कि पचासों साल पहले मैंने अपना घर इसलिए नहीं छोड़ा था कि एक दिन अपने ही देश के लोगों से संपर्क ही मुश्किल हो जाएगा. जो देशवासी मेरा सब कुछ है, मैं उनसे ही कट करके जी नहीं सकता था. मन की बात ने मुझे इस चुनौती का समाधान दिया.
PM मोदी ने कहा कि मेरे लिए ‘मन की बात’ केवल एक कार्यक्रम नहीं है, मेरे लिए एक आस्था, पूजा, व्रत है. पीएम मोदी ने कहा कि 2074 में दिल्ली आने के बाद मैंने पाया कि यहां का जीवन तो बहुत ही अलग है. काम का स्वरूप अलग, दायित्व अलग, स्थितियां-परिस्तिथियों के बंधन, सुरक्षा का तामझाम, समय की सीमा भी अलग है.
यह भी पढ़ें: ‘मन की बात’ की100वीं कड़ी का संयुक्त राष्ट्र समेत लंदन में प्रसारण, बीजेपी ने किए ऐतिहासिक इंतजाम
पीएम मोदी ने कहा कि शुरुआती दिनों में, कुछ अलग महसूस करता था, खाली-खाली सा महसूस! करता था. पचासों साल पहले मैंने अपना घर इसलिए नहीं छोड़ा था कि एक दिन अपने ही देश के लोगों से संपर्क ही मुश्किल हो जाएगा. जो देशवासी मेरा सब कुछ हैं, मैं उनसे ही कट करके जी नहीं सकता था. ‘मन की बात’ ने मुझे इस चुनौती का समाधान दिया, सामान्य मानवी से जुड़ने का रास्ता दिया. पदभार और प्रोटोकॉल, व्यवस्था तक ही सीमित रहा और जनभाव, कोटि-कोटि जनों के साथ, मेरे भाव, विश्व का अदूट अंग बन गया.