लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आरोपी आशीष मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है। अदालत ने आठ हफ्तों के लिए अंतरिम जमानत दी है। अदालत ने निर्देश दिया है कि अंतरिम जमानत के पहले हफ्ते में उसे यूपी छोड़ना होगा। जमानत की पूरी अवधि में वो ना तो उत्तर प्रदेश या दिल्ली एनसीआर के शहरों में रहेगा। इसके साथ ही उसे अपने पासपोर्ट को भी जमा कराना होगा। आशीष मिश्रा सिर्फ और सिर्फ अपने मामलों के ट्रायल के लिए सिलसिले में ही यूपी में दाखिल होंगे। अगर आशीष मिश्रा या उनका परिवार या समर्थक गवाहों को धमकाने के मामले में सीधे या परोक्ष तौर पर शामिल पाए गए तो उनकी अंतरिम जमानत रद्द कर दी जाएगी।
अदालत की क्या थी टिप्पणी
बता दें कि जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जे के माहेष्वरी की पीठ के सामने नियमित जमानत की अर्जी लगाई गई थी। लेकिन अदालत की तरफ से अंतरिम जमानत मिली। अदालत ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 14 मार्च की तारीख मुकर्रर की है। इस दौरान गवाही की क्या स्थिति है उसकी समीक्षा ट्रायल कोर्ट करेगा। आरोपी की तरफ से फ्री और फेयर ट्रायल की दलील दी गई थी। अदालत ने कहा कि व्यक्तिगत आजादी और फेयर ट्रायल को ध्यान में रखते हुए ही इस तरह के निर्णय की जरूरत थी। इससे पहले 19 जनवरी को सुनवाई में अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। आशीष मिश्रा की तरफ से मुकुल रोहतगी और पीड़ित पक्ष की तरफ से अतिरिक्त एडवोकेट जनरल गरिमा प्रसाद और सीनियर वकील दुष्यंत दवे ने पक्ष रखा था।
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अक्टूबर 2021 का मामला
उत्तर प्रदेश के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे का विरोध कर रहे किसानों को कथित तौर पर एक एसयूवी ने कुचल दिया जिसमें आशीष मिश्रा बैठे थे।मामला अक्टूबर 2021 का है जब उनके काफिले में शामिल वाहनों के जरिए किसानों को कुचल दिया गया था।