केंद्र सरकार ने हिजबुल मुजाहिदीन, लश्कर ए तैयबा और दूसरे आतंकी संगठनों से जुजडे 10 सदस्यों को आतंकियों की लिस्ट में डालने का फैसला किया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इन सभी के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत कार्रवाई की है।

जिन आतंकियों को इस सूची में शामिल किया गया है उनमें हिजबुल्ला मलिक उर्फ साजिद जट, जो पाकिस्तानी नागरिक है, बासित अहमद रेशी, यह जम्मू कश्मीर के बारामुला का रहने वाला है लेकिन वर्तमान में पाकिस्तान से अपनी गतिविधिया चलाता है। इसके साथ ही जम्मू कश्मीर के सोपोर का इम्तियाज अहमद कंडू और पूंछ के जफर इकबार उर्फ सलीम को भी आतंकी घोषित किया गया है। ये दोनों भी इस समय पाकिस्तान में रह रहे हैं। पुलवामा के रहने वाले जमील-उर-रहमान को भी आतंकियों की लिस्ट में डाला गया है।
आतंकियों की सूची में अन्य नाम में श्रीनगर निवासी बिलाल अहमद बेग उर्फ बाबर लेकिन वर्तमान में पाकिस्तान में मौजूद, पुंछ का रफीक नाई उर्फ सुल्तान , डोडा का इरशाद अहमद उर्फ इदरीस, कुपवाड़ा का बशीर अहमद पीर उर्फ इम्तियाज और बारामुला का शौकत अहमद शेख उर्फ शौकत मोची, अब पाकिस्तान में मौजूद, शामिल किया गया है।
मंगलवार को अलग-अलग अधिसूचनाओं में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि हबीबुल्लाह मलिक प्रमुख आतंकियों का हैंडलर था जिन्होंने पुंछ में भारतीय सैनिकों पर हमला किया था। इसके साथ ही यह जम्मू कश्मीर क्षेत्र में सक्रिय आतंकियों के लिए जम्मू में ड्रोन के माध्यम से हथियार गिराने में शामिल रहा है। मलिक ने खूंखार आतंकियों का एक नेटवर्क भी तैयार किया है जिसकी मदद से कश्मीर में कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया। इनमें जून 2013 में श्रीनगर के हैदरपोरा में सेना के जवानों के खिलाफ आत्मघाती हमला करवाना और दिसम्बर 2013 में बडगाम के चदूरा में एक स्टेशन अधिकारी की हत्या भी शामिल थी।
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मलिक लश्कर ए तैयबा और द रेसिस्टेंट फ्रंट (टीआरएफ) नाम के संगठन से जुड़ा है। टीआरएफ का नाम हाल के दिनों में कई आतंकी घटनाओं में सामने आया है। बासित अहमद रेशी हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़ा है और जम्मू कश्मीर में निशाना लक्ष्य बनाकर की गई हत्याओं के लिए जिम्मेदार रहा है। हिजबुल से जुड़ा इम्तियाज अहमद कंदू आतंकियों के लिए धन जुटाने और युवाओं को आतंकी बनने के लिए प्रेरित करता रहा है।
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