सपा के लिए मुश्किलें दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। धीरे-धीरे उनके अपने ही साथ छोड़ रहे है। पहले मुलायम सिंह की छोटी बहू अपर्णा यादव, फिर चाचा शिवपाल और चौधरी परिवार से सपा की दूरी पार्टी के लिए बड़ा झटका है।
दरअसल हरमोहन की मुलायम परिवार से 4 दशक पुरानी दोस्ती थी जो अब टूट गई है। इसके साथ ही हरमोहन ने बीजेपी का दामन थाम लिया है।
जानकारी के मुताबिक यूपी की यादव राजनीति या यूं कहें सपा का एक बड़ा स्तंभ भगवा खेमे में शामिल हो गया है। विधानसभा चुनाव से पहले ही हरमोहन ने अपने बेटे को बीजेपी में शामिल करवा के पहले की संकेत दे दिए थे।
चौधरी परिवार ने दिया संदेश
आपको बता दें यूपी में 38 विधानसभा सीटें है जो यादव बाहुल मानी जाती है। खास तौर पर एटा, कन्नौज, इटावा, मैनपुरी, फर्रुखाबाद और कानपुर देहात जिलों की अधिकतर सीटें इनमें है। माना जा रहा है कि बीजेपी की इन सीटों पर नजर है।
सपा का प्रभाव इन सीटों पर कम करने के लिए चौधरी परिवार का जरिए संदेश जा सकता है। बीजेपी कोशिश करेगी कि सुखराम सिंह को आगे कर हरमोहन के नाम पर इन सीटों पर वर्चस्व जमा सके।
मेहरबान सिंह पुरवा के कई करीबी भी सपा के खेमे में
हालांकि सुखराम सिंह भले ही बीजेपी के साथ आ गया हो लेकिन आधा कुनबा अभी भी सपा के साथ ही है। जगराम सिंह जो दो बार विधायक रह चुके है और ब्लॉक प्रमुख रहे अभिराम सिंह की आस्था अभी भी सपा के साथ ही है..साथ ही मेहरबान सिंह पुरवा के कई करीबी भी सपा के खेमे में है।
2024 के लोकसभा चुनाव
हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव आते-आते तस्वीरें काफी हद तक साफ हो जाएगी कि चौधरी परिवार बीजेपी के लिए वोट बैंक में इजाफा कर पाएगा या फिर बचा हुए आधा कुनबा सपा के लिए मुफीद होगा। वहीं यूपी की 10 लोकसभा सीटों पर यादव वोटों की निर्णायक भूमिका मानी जाती है।
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जानकारी के मुताबिक बीजेपी सपा के ऐसे मजबूत स्तंभों को अपने खेमे में लाना चाहता है जिनके साथ बड़ा संदेश जाए। मुलायम की बहू अपर्णा फिर चाचा शिवपाल से भी दूरी बन गई। अह मेहरबान सिंह का पुरवा इसी कड़ी में पड़ाव बन गया है। वहीं मध्य यूपी के यादवों के बीच हरमोहन सिंह के नाम का भी प्रभाव है।