जब उत्तर प्रदेश विधान परिषद सदस्यों के 13 नवनिर्वाचित सदस्यों का कार्यकाल गुरुवार को शुरू हुआ, तो समाजवादी पार्टी के लाल बिहारी यादव ने अपना नेता विपक्ष का पद खो दिया था। 100 सदस्यीय में पार्टी की ताकत के रूप में उच्च सदन सपा के विधान परिषदों की संख्या 9 पर सीमित रह गई इसके पहले उच्च सदन में सपा के पास 11 विधान परिषद के सदस्य थे। यूपी परिषद के प्रधान सचिव राजेश सिंह द्वारा गुरुवार को हिंदी में जारी अधिसूचना में कहा गया है, “यह अधिसूचित किया जा रहा है कि 27 मई, 2022 को उत्तर प्रदेश विधान परिषद में सपा की ताकत 11 थी और यह उच्च सदन में सबसे बड़ा विपक्षी दल था।”
इस प्रकार उनके सदस्य लाल बिहारी यादव को विपक्ष के नेता के रूप में मान्यता दी गई थी। लेकिन आज यानी 7 जुलाई 2022 को समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्यों की संख्या महज 9 रह गई है। यह उच्च सदन के नियम 234 के तहत आवश्यक संख्या बल 10 से कम है। इस वजह से बिहारी यादव को तत्काल प्रभाव से विपक्ष के नेता के पद से हटाया जा रहा है और अब वह समाजवादी पार्टी के एकमात्र नेता बने रहेंगे।
ऐसे होता है नेता विपक्ष का चयन
अधिसूचना के बारे में पूछे जाने पर राजेश सिंह ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया,“विधायिका नियमों और परंपराओं के अनुसार काम करती है। यह भी नियमों और परंपराओं के अनुसार है कि यदि किसी राजनीतिक दल की संख्या सदन की ताकत के 10 प्रतिशत से कम हो जाती है तो उसे विपक्ष के नेता का पद नहीं मिल सकता है।”
उत्तर प्रदेश देश की सबसे बड़ी विधान परिषद
उत्तर प्रदेश विधान परिषद जो अपनी 8 सीटें उत्तराखंड को देने के बाद भी देश की सबसे बड़ी विधान परिषद बनी हुई है जिसका गठन 1887 में किया गया था। अब यह ऐसा पहला मौका है जब उत्तर प्रदेश के उच्च सदन में विपक्ष का कोई नेता नहीं होगा। वहीं विधान परिषद के 135 सालों के इतिहास में ये पहला मौका होगा जब कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करने वाला एक भी सदस्य उच्च सदन में नहीं होगा। इसके पहले बुधवार को कांग्रेस के एकमात्र एमएलसी दीपक सिंह का कार्यकाल खत्म हो गया था।
बीजेपी को अहंकारी नहीं होना चाहिएः कांग्रेस
विधान परिषद के 135 सालों के इतिहास में ये पहला मौका है जब कांग्रेस का एक भी सदस्य उत्तर प्रदेश के उच्च सदन में नहीं है। इस पर जब कांग्रेस के पूर्व एमएलसी दीपक सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा, “यह सच है कि यूपी परिषद में विपक्ष की संख्या अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ गई है और कांग्रेस की ताकत शून्य हो गई है लेकिन भाजपा को अहंकारी नहीं बनना चाहिए। भाजपा के पतन और कांग्रेस के उत्थान का समय अब शुरू होगा।