भ्रष्टाचार, पद का दुरुपयोग कर करीबियों को अनुचित लाभ पहुंचाने के मामले में शासन से निलंबित किए गए डीएम सुनील कुमार वर्मा की संपत्तियों की जांच तेज हो गई है। उनके कार्यकाल में बालू खनन से जुड़ी फर्मों, उसके पार्टनरों को मिले लाभ की पड़ताल की जा रही है। मंगलवार को साढ़े सात घंटे औरैया में रहीं कानपुर व लखनऊ की विजिलेंस टीमों ने ब्योरा जुटाते हुए तमाम दस्तावेज कब्जे में लिए हैं। मध्य प्रदेश, आगरा, कानपुर, जालौन से दिल्ली तक खनिज परिवहन को लेकर भी नजर डाली है। उधर, मंगलवार देर रात विजिलेंस टीम के लौट जाने से बुधवार को सन्नाटा रहा।
मंगलवार को तीन सदस्यीय विजिलेंस टीम ने डीएम के संपर्क में रहे खनन ठेकेदारों के यहां छापेमारी की थी। अयाना क्षेत्र के यमुना नदी किनारे बीझलपुर घाट पर बालू खनन व वर्ष 2018 में हुए पट्टे की जांच की। खनन से जुड़े हरि नारायन तिवारी के यहां छापेमारी करते हुए पूछताछ के बाद 18 बैनामों से जुड़े दस्तावेजों को टीम अपने साथ ले गई। हरि नारायन के पार्टनर सुरेश पांडेय पांडे व उनके भाई संतोष व श्रीधर पांडे के आवास व कार्यालयों पर भी जांच की थी। छापेमारी के बाद दूसरे दिन बुधवार को बीझलपुर बालू घाट पर खनन व परिवहन का काम बंद मिला। एक प्रशासनिक अधिकारी के मुताबिक, पूरा ब्योरा तैयार किया जा रहा है।
तहसीलवार जुटाया जा रहा ब्योरा
बालू की रायल्टी के दस्तावेजों समेत खनन के पट्टे से जुड़ी जानकारी जुटा चुकी विजिलेंस टीम ने अब जिला प्रशासन से निलंबित जिलाधिकारी सुनील कुमार वर्मा के कार्यकाल में हुए पट्टों का चित्र मांगा है। जनवरी 2021 से निलंबन तिथि से पहले तक के कार्यों की सूचना जुटाने का कार्य तहसीलवार शुरू कराया गया है।
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नवागंतुक जिलाधिकारी प्रकाश चंद्र श्रीवास्तव ने बुधवार को ककोर मुख्यालय में बैठक की, जिसमें खनन विषय का मुद्दा मुख्य रहा। प्रकाश चंद्र ने विजिलेंस से जुड़ी जांच के बाबत अधिकारियों से कुछ बिंदुओं पर जानकारी मांगी। निरीक्षक विजिलेंस अभिमन्यु यादव की ओर से शासन को पूरे मामले की रिपोर्ट भेजी जा रही है। अयाना, मुरादगंज सहित कई ठिकानों पर भी छापेमारी की गई।
विजिलेंस टीम ने लिए यह दस्तावेज
पांडेय एंड पांडेय ब्रदर्स फर्म, बालू घाट के पट्टे के कागजात, रजिस्ट्री, जमीन-प्लाट व खेत के बैनामे। अयाना रोड स्थित श्रीधर पांडे के पैलेस, उनके भाई संतोष पांडे व सुरेश की संपत्ति का विवरण, संचालित हो रहे स्कूलों के दस्तावेज। हरि नारायन का कहना है कि जिस फर्म में वह पार्टनर हैं। उससे जुड़े कागजात लिए गए हैं। तकरीबन 18 वर्ष पहले भी आयकर विभाग की जांच हुई थी। उनका प्रत्येक काम एक नंबर का है।