राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे एन तिवारी की याचिका का उच्च न्यायालय ने लिया संज्ञान, कोर्ट ने मामले में विचार की आवश्यकता महसूस किया, शासन से 4 हफ्ते में मांगा जवाब, 2 सप्ताह में शपथ पत्र देने के बाद निर्णय के लिए कोर्ट ने निश्चित किया तारीख
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के वित्त विभाग ने 12 मई 2020 को एक आदेश जारी कर प्रदेश के कर्मचारियों का नगर प्रतिकर भत्ता समाप्त कर दिया था। नगर प्रतिकर समाप्त करने का आधार केंद्र सरकार में यह भत्ता नहीं दिया जाना बताया गया था । राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे एन तिवारी ने वित्त विभाग के इस आदेश को माननीय उच्च न्यायालय में चुनौती दिया था। उन्होंने अपने प्रत्यावेदन में साक्ष्यों के साथ अवगत कराया था कि केंद्र सरकार में नगर प्रतिकर भत्ता समाप्त नहीं किया गया है बल्कि केंद्र सरकार ने छठे वेतन आयोग में नगर प्रतिकर भत्ता को परिवहन भत्ता में समाहित करके इसकी दरों को चौगुना कर दिया था।
केंद्रीय छठे वेतन आयोग के आधार पर प्रदेश सरकार में भी परिवहन भत्ता देने की मांग संगठन ने किया था लेकिन प्रदेश सरकार छठे वेतन आयोग के लागू होने पर भी नगर प्रतिकर भत्ता ही अपने कर्मचारियों को देती रही है। यह भत्ता प्रदेश के कर्मचारियों को अप्रैल 2020 तक प्राप्त हुआ है।
माननीय उच्च न्यायालय ने राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे एन तिवारी की याचिका का संज्ञान लेकर शासन को 4 हफ्ते में जवाब देने को कहा है ।उसके अगले 2 हफ्ते में प्रति शपथ पत्र आने के बाद निर्णय के लिए याचिका की तिथि निर्धारित कर दी गई है ।
12 मई से नगर प्रतिकर भत्ता की कटौती हो जाने के बाद अब तक प्रदेश के कर्मचारियों का 360 करोड़ रूपया सरकार के खाते में जमा हो चुका है। प्रदेश में कुल कर्मचारियों की संख्या 1222672 है। नगर प्रतिकर भत्ता काटे जाने से सभी कर्मचारी प्रभावित है। माननीय उच्च न्यायालय में याचिका की पैरवी माननीय अधिवक्ता सुनील शर्मा एवं मोहम्मद मुर्तजा ने किया।