गुजरात सरकार ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान पाटीदारों के खिलाफ दर्ज किए गए 10 और मामले वापस लेने का फैसला किया है। इनमें हार्दिक पटेल के खिलाफ दर्ज दो केस सहित अन्य केसों को वापस वापस होंगे।
दरअसल, कुछ महीने पहले गुजरात प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को पत्र लिखकर पाटीदार आंदोलन के मामलों को वापस लेने की मांग की थी। उन्होंने अपने पत्र में लिखा था कि पाटीदार समाज का बेटा होने के नाते मैं मांग करता हूं कि आरक्षण आंदोलन में पाटीदारों पर लगे मुकदमे को जल्द से जल्द वापस लिया जाए। उन्होंने कहा कि आंदोलन के हर नेता पर मुकदमा चलाया जा रहा है। ऐसी करीब चार सौ से अधिक घटनाएं हुई थीं। पहले की सरकारों ने इन मामलों को वापस लेने का वादा किया था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पाटीदारों के खिलाफ केस वापस लिए जाए।
बताया गया कि सोमवार को राज्य सरकार ने जिन 10 मामलों को वापस लिया है, उनमें से 7 मामले अहमदाबाद सत्र न्यायालय के और 3 मामले महानगर न्यायालय में विचाराधीन थे। यह केस नरोडा, रामोल, बापूनगर और क्राइम ब्रांच, साबरमती, नवरंगपुरा और शहेरकोटड़ा में 1-1, जबकि कृष्णनगर में 2 केस दर्ज किए गए थे। हार्दिक पटेल के खिलाफ रामोल थाने में मामले की सुनवाई 15 अप्रैल को होगी। गुजरात में आरक्षण आंदोलन के दौरान पाटीदारों के खिलाफ पुलिस ने 485 शिकायतें दर्ज की हैं। इनमें से 228 शिकायतों को पुलिस ने खारिज कर दिया गया है। अभी 140 से अधिक मामले अभी भी लंबित हैं।
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उल्लेखनीय है कि साल 2015 में हार्दिक पटेल और कुछ अन्य युवाओं ने पाटीदारों को आरक्षण देने की मांग को लेकर अहमदाबाद के जीएमडीसी मैदान में आंदोलन किया था। इस आंदोलन के बाद पूरे गुजरात में हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें पाटीदार समाज के 14 युवक मारे गए थे। बाद में दबाव के बाद सरकार ने शहीद पाटीदारों के परिवारों को सहकारिता विभाग में नौकरी देने की भी बात कही।