सुल्तानपुर में कांग्रेस नेत्री पर जानलेवा हमले का मामला तूल पकड़ता जा रहा है, जहाँ जिला अस्पताल में लगा कांग्रेसियों के साथ साथ सपा और प्रसपा के नेताओं का जमावड़ा,तो वही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय सिंह लल्लू ने फोन पर कि बात और हर सम्भव मदद का दिलाया भरोसा। तो वही प्रारंभिक जांच में संदेहास्पद पाया गया गन शॉट का स्थान जिसकी पुलिस कर रही हैं सघनता से जाँच पड़ताल ।
बता दें कि पीएम-सीएम की रैली में काला झंडा दिखाकर रीता यादव एकाएक सुर्खियों में आ गई थी। दो दिनों तक उसे जेल की हवा भी खानी पड़ी थी। फिर इसके बाद जमानत पर रिहा हुई थी। रीता यादव सपा महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष थी, और अपने इस कदम पर पार्टी में सम्मान नहीं मिलने पर उसने एक महीनें में ही सपा छोड़ कर जिला अध्यक्ष अभिषेक सिंह राणा के साथ लखनऊ पहुंचकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के सम्मुख कांग्रेस ज्वाइन कि थी। कल यानी सोमवार की शाम उस पर जानलेवा हमला हुआ तो वो राजनैतिक गलियारे में फिर से चर्चा का विषय बन गई। यूपी कांग्रेस उसके प्रकरण को लेकर बीजेपी पर हमलावर भी हुई है़।
वही रीता यादव को डॉक्टरों ने सीएचसी लंभुआ से जिला अस्पताल सुलतानपुर रेफर किया था। यहां जैसे ही रीता यादव पहुंची कांग्रेस के नेताओं समेत प्रसपा और सपा के नेता तक उसका हाल-चाल जानने पहुंचे। कांग्रेस की ओर से प्रदेश सचिव मकसूद आलम, पूर्व फिल्म सेंसर बोर्ड के सदस्य विजय श्रीवास्तव, जिला उपाध्यक्ष तेज बहादुर पाठक, शहर उपाध्यक्ष अनवार अहमद बब्बू, ने अस्पताल में उसका हाल जाना। तेज बहादुर पाठक ने बताया कि प्रदेश अध्यक्ष अजय लल्लू ने रीता से फोन पर बात किया हैं और उसे हर संभव मदद का भरोसा दिलाया।
अवगत कराते चले कि रीता यादव ने मीडिया को दिए गए बयान में कहा है कि मैं पोस्टर बैनर बनवाने सुल्तानपुर गई थी वहां से घर जा रही थी। उसी समय हाईवे पर लंभुआ के पास तीन लोगों ने ओवर टेक करके मेरी बोलेरो को रोका और गाली देते हुए जान से मारने की धमकी दिया। और मेरे ड्राइवर की कनपटी पर पिस्टल लगा दिया। मैंने जब उन्हें इस पर एक थप्पड़ मारा तो उन्होंने मुझे मुझे गोली मार दिया। गोली मेरे पैर में लगी और तब तक बदमाश भाग निकले।
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ये वहीं रीता यादव हैं जिन्होंने 16 नवंबर को पीएम मोदी जब पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का लोकार्पण कर जिले के कूरेभार स्थित अरवल कीरी में सभा कर रहे थे तो रीता यादव ने उन्हें काला झंडा दिखाया था। पुलिस ने उसे गिरफ्तार करके जेल भेजा था और दो दिनों बाद उसकी बेल हुई थी। घटना के एक महीना बाद तक वो सपा में रही लेकिन सम्मान नहीं मिलने पर वो 17 दिसंबर को लखनऊ में कांग्रेस जिलाध्यक्ष अभिषेक सिंह राणा के साथ प्रियंका वाड्रा से मिलकर कांग्रेस ज्वाइन किया था।