इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी मिश्र एवं महामंत्री प्रेमचंद्र ने कहा है कि प्रधानमंत्री जी ने पहली बार पश्चिम बंगाल में अपने भाषण में राज्यों के कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग का लाभ देने की बात की।
प्रधानमंत्री को सातवें वेतन आयोग को लेकर कराया अवगत
वीपी मिश्रा ने प्रधानमंत्री जी को अवगत कराया है कि अभी बहुत से राज्य सातवें वेतन आयोग के लाभ से वंचित हैं। जहां पर सातवां वेतन आयोग मिला भी है वहां पर भत्तों एवं अन्य सुविधाओं में समानता नहीं दी गई है। कई राज्य में वेतन विसंगतियां हैं जिन पर निर्णय नहीं हुआ है।
प्रेमचंद्र ने बताया कि प्रधानमंत्री जी को कई पत्र भेजकर मांग की थी कि भारत सरकार एक देश एक वेतन भत्ते एवं अन्य सुविधाएं देने की नीति बनाकर राष्ट्रीय वेतन आयोग का गठन करके कर्मचारियों के वेतन भत्ते में समानता लाए परंतु इस मांग पर भारत सरकार मौन है। इसी वजह से राज्य में कर्मचारी संगठनों के आंदोलन चलते रहते हैं।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार यह निर्णय करा दे तो कर्मचारियों की नाराजगी दूर हो जाएगी और आंदोलन की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। उल्लेखनीय है कि यूपीए सरकार ने इप्सेफ की मांग पर सातवें वेतन आयोग का गठन किया था परंतु लागू बीजेपी सरकार ने आधा अधूरा लागू किया जिससे विसंगतियां बनी हुई है। विसंगतियां पर न तो भारत सरकार निर्णय कर रही है और ना राज्य सरकारें।
अतुल मिश्रा राष्ट्रीय सचिव ने बताया कि उत्तर प्रदेश में वेतन समिति गठित की गई थी परंतु उसकी संस्तुतियों को लागू नहीं किया गया जिसके कारण आंदोलन चलते रहते हैं। यही हालात कई राज्य की है।
इप्सेफ के नेताओं ने प्रधानमंत्री जी एवं वित्त मंत्री भारत सरकार से आग्रह किया है कि गंभीरता से विचार कर एक देश एक वेतन भत्ते एवं अन्य सुविधाएं देने का निर्णय करें। इससे आए दिन चल रहे आंदोलनों में कमी आएगी और कर्मचारियों की कार्यक्षमता बढ़ेगी।
यह भी पढ़ें: कर्मचारी संयुक्त परिषद ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, कोरोना योद्धाओं के लिए की मांग
इप्सेफ ने प्रधानमंत्री जी से यह भी मांग की है कि पुरानी पेंशन नीति को बहाल करें यह समय की मांग है। इसके साथ ही सरकारी संस्थानों में निजी करण व्यवस्था बंद करें।