कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति को केंद्र सरकार द्वारा दी गई जानकारी न्यायपालिका में सामाजिक विविधता का संकेत देती है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, 2018-2022 की अवधि के दौरान उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्त में से 79% उच्च जाति (सामान्य श्रेणी) से हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया और इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट से निम्नलिखित आंकड़े सामने आए हैं। 2018 से 19 दिसंबर 2022 तक विभिन्न उच्च न्यायालयों में 537 न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई। जिनमें 79 प्रतिशत सामान्य श्रेणी से, 11 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग से, 2.6 प्रतिशत अल्पसंख्यक से, 2.8 प्रतिशत अनुसूचित जाति से और 1.3 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति से आते हैं।
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मंत्रालय ने कहा कि चूंकि हाई कोर्टों और सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति कॉलेजियम सिस्टम से होती है, इसलिए सामाजिक विविधता सुनिश्चित करने की दिशा में सरकार कुछ नहीं कर सकती है।कानून मंत्री किरन रिजिजू ने 2021 में संसद को बताया था कि केंद्र सरकार सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से अनुरोध कर रही है कि वे न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए उनका प्रस्ताव भेजते समय अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यकों और महिलाओं से संबंधित उम्मीदवारों को लेकर उचित विचार करें।