लखनऊ : इस वर्ष सीएसआईआर-सीडीआरआई, लखनऊ अपनी स्थापना के 75वें वर्ष का जश्न मना रहा है। इसलिए वर्ष पर्यंत अनेक समारोहों का आयोजन किया जा रहा है। स्वास्थ्य नवाचार श्रृंखला के अंतर्गत, सीएसआईआर–केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान लखनऊ में आज एक व्याख्यान का आयोजन किया गया।
प्रोफेसर अरविंद के. बंसल द्वारा हेल्थकेयर सीरीज में नवाचार पर चर्चा
यह व्याख्यान औषधि अनुसंधान एवं विकास के दौरान दवा की घुलनशीलता की चुनौतियों का समाधान विषय पर प्रोफेसर अरविंद कुमार बंसल, नाइपर–मोहाली द्वारा प्रस्तुत किया गया। प्रो. बंसल फार्मास्युटिकल तकनीक एवं फॉर्मूलेशन साइंस के क्षेत्र में एक अग्रणी विशेषज्ञ हैं।
प्रो. बंसल ने कहा कि अगर हम दवा की खोज और विकास के शुरुआती चरण में दवाओं की घुलनशीलता संबंधी चुनौतियों का समाधान करते हैं, तो हम बड़ी विफलता और संकट को रोक सकते हैं
इस कार्यक्रम में सीएसआईआर–सीमैप, लखनऊ के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे तथा सीएसआईआर–सीडीआरआई संस्थान की निदेशक डॉ. राधा रंगराजन ने अध्यक्षता की।
औषधि विकास के दौरान दवा की घुलनशीलता एक बड़ी चुनौती : प्रो. अरविंद के. बंसल
यह सत्र व्यापक रूप से छात्रों और शिक्षकों द्वारा सराहा गया, जिसमें नाइपर–रायबरेली, लखनऊ विश्वविद्यालय एवं रामेश्वरम इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट से प्रतिभागिता रही। इसके अतिरिक्त, सीएसआईआर–सीडीआरआई के वैज्ञानिकों एवं शोधार्थियों ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया।
अपने स्वागत भाषण में डॉ. राधा रंगराजन ने सीडीआरआई की वैज्ञानिक नवाचार एवं अनुप्रयुक्त अनुसंधान में प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। डॉ. जे. आर. गायेन ने वक्ता का परिचय देते हुए प्रो. बंसल के फॉर्मूलेशन साइंस और बायोफार्मास्यूटिक्स में योगदान को रेखांकित किया।
प्रो. अरविंद के. बंसल ने अपने व्याख्यान में बताया कि सक्रिय औषधीय घटकों की कम घुलनशीलता, औषधि विकास की सबसे जटिल बाधाओं में से एक है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यदि हम दवा की खोज और विकास के शुरुआती चरण में घुलनशीलता की चुनौतियों का समाधान करते हैं, तो हम बड़ी विफलता और संकट को रोक सकते हैं।
प्रारंभिक प्रौद्योगिकी चयन दीर्घकालिक विकास सफलता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लीड ऑप्टिमाइज़ेशन के दौरान, स्केलेबल एन्हांसमेंट प्लेटफ़ॉर्म पर फिट होने वाली संशोधित संरचनाओं वाले यौगिकों को चुनने से घुलनशीलता में काफी सुधार किया जा सकता है।
डॉ. प्रबोध के. त्रिवेदी ने अपने संबोधन में व्याख्यान की सराहना की और कहा कि ऐसी रणनीतियाँ सुरक्षित, प्रभावशाली एवं सस्ती दवाओं के विकास को तेज करने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।
प्रो. बन्सल का उनके वैज्ञानिक नेतृत्व के लिए डॉ. राधा रंगराजन द्वारा सम्मान किया गया। कार्यक्रम का समापन डॉ. प्रेम प्रकाश यादव द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें सभी विशिष्ट अतिथियों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया गया।