प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 फरवरी को ‘प्रगति रिव्यू मीटिंग’ की और देश में चल रहे इंफ्रा प्रोजेक्ट्स के बारे में अधिकारियों से जानकारी हासिल की. इस दौरान एक ऐसे प्रोजेक्ट पर पीएम का ध्यान गया, जिसमें 13 साल की देरी हो चुकी है और उसकी लागत दोगुनी बढ़ गई है. प्रधानमंत्री मोदी ने इसे लेकर चिंता जाहिर की अफसरों को विशेष हिदायत दी. यह एक 891 किलोमीटर की महत्वपूर्ण गैस पाइपलाइन परियोजना है, जो तीन दक्षिणी राज्यों को लाभान्वित करेगी. लंबे समय से रुकी हुई परियोजनाओं पर पीएम का विशेष रूप से ध्यान रहा है, जिसमें उन्होंने कई बैठकों में अपनी चिंता व्यक्त की है.
जनवरी में आई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि विभिन्न विलंबित केंद्रीय बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की लागत में लगभग 3.2 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि होगी. सरकारी सूत्रों ने कहा कि बुधवार को प्रधानमंत्री द्वारा प्रगति समीक्षा बैठक में उठाई गई ऐसी दो लंबित परियोजनाओं ने इस मुद्दे की मिसाल पेश की. इनमें से एक प्रोजेक्ट है कोच्चि-कुट्टनाड-बेंगलुरु-मंगलुरु पाइपलाइन फेज-2 परियोजना, जो कोच्चि एलएनजी टर्मिनल से लिक्विड नेचुरल गैस को स्थानांतरित करेगी, जिससे केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक राज्यों में उपभोक्ताओं को एलएनजी उपलब्ध हो पाएगा. यह महत्वपूर्ण परियोजना इन तीन दक्षिणी राज्यों को GAIL के नेशनल गैस ग्रिड से जोड़ेगी.
हालांकि, यह परियोजना, जिसे 2007 में स्वीकृत किया गया था और जिसे 2012 में पूरा किया जाना था, अब 2025 तक विलंबित हो गई है. पिछले साल तक इस प्रोजेक्ट के पूरा होने की संशोधित तिथि सितंबर 2022 थी. लेकिन प्रगति बैठक में पीएम मोदी को सूचित किया गया कि अब यह प्रोजेक्ट फरवरी 2025 में कम्प्लीट होगा. परियोजना की अब तक भौतिक प्रगति केवल 65 प्रतिशत है, जिसमें 891 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन में से 579 किमी का काम पूरा हुआ है. इस परियोजना की स्वीकृत लागत 2,918 करोड़ रुपये थी, जो अब दोगुनी होकर 5,909 करोड़ रुपये पहुंच गई है. परियोजना में मुख्य समस्या तमिलनाडु राज्य में बनी हुई है, जिसे एक संशोधित पाइपलाइन मार्ग प्रस्तुत करना है. भूमि अधिग्रहण और फॉरेस्ट क्लीयरेंस भी लंबित हैं.
एक सूत्र ने कहा कि प्रोजेक्ट में देरी से प्रधानमंत्री मोदी चिंतित दिखे, क्योंकि इससे न केवल घरेलू बल्कि औद्योगिक और परिवहन क्षेत्रों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने की उम्मीद है. मिली जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री ने प्रगति समीक्षा बैठक के दौरान कैबिनेट सचिव से तमिलनाडु सरकार और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के बीच के मुद्दों को सुलझाने में मदद करने के लिए कहा. एक अन्य परियोजना जो 25 वर्षों के विलंब से चल रही है, पीएम मोदी के सामने समीक्षा में रखी गई. यह 541 किलोमीटर लंबी रेल लाइन परियोजना उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में ललितपुर-सिंगरौली को जोड़ेगी, जिसे 1997 में स्वीकृत मिली थी. पीएम मोदी को अधिकारियों ने बताया कि ललितपुर से खजुराहो तक 229 किलोमीटर तक रेल लाइन बन चुकी है, लेकिन उसके आगे अधूरी है.
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इस रेल लाइन का मुख्य उद्देश्य यूपी और एमपी में बुंदेलखंड और विंध्य के पिछड़े क्षेत्रों के लिए विकास के द्वार खोलना और भारत के अन्य हिस्सों में सिंगरौली कोयला खदानों और सीमेंट कारखानों के लिए एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करना था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में इंफ्रा प्रोजेक्ट्स के समय पर पूरा होने पर जोर देते हुए मंत्रालयों से बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की योजना बनाने और मुद्दों के शीघ्र समाधान के लिए पीएम गतिशक्ति पोर्टल का उपयोग करने को कहा. आपको बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने 25 मार्च, 2015 को ‘प्रो-एक्टिव गवर्नेंस एंड टाइमली इम्प्लीमेंटेशन’ (PRAGATI) प्लेटफॉर्म की शुरुआत की थी. इसके जरिए वह पूरे देश में चल रहे केंद्र सरकार के इंफ्रा प्रोजेक्ट्स की मॉनिटरिंग करते हैं और सभी हितधारकों को एक मंच पर लाकर जवाबदेही और पारदर्शिता तय करते हैं. इसके लिए प्रधानमंत्री विशेष तौर पर बैठक करते हैं.