नई दिल्ली: पेट्रोल और डीजल के मुकाबले सस्ती होने के कारण CNG आज लाखों वाहन चालकों की पहली पसंद बन चुकी है। इसके साथ ही सरकार भी इसे पर्यावरण के अनुकूल ईंधन मानते हुए लगातार बढ़ावा दे रही है। लेकिन CNG से जुड़ा एक नियम ऐसा है, जिस पर लोग अक्सर ध्यान नहीं देते। आपने भी देखा होगा कि जब गाड़ी में CNG भरवाई जाती है, तो पंप कर्मचारी सभी यात्रियों को वाहन से नीचे उतरने के लिए कहते हैं। यह सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि सुरक्षा से जुड़ा बेहद जरूरी नियम है। इसके पीछे एक नहीं, बल्कि कई ठोस कारण हैं।
हादसे के खतरे से बचाव
CNG भरते समय सबसे बड़ा जोखिम गैस लीकेज का होता है। अगर सिलेंडर या पाइपलाइन में जरा सी भी खराबी हो जाए, तो विस्फोट का खतरा बढ़ सकता है। ऐसी स्थिति में यात्रियों का गाड़ी से बाहर होना सुरक्षित माना जाता है, ताकि किसी अनहोनी की स्थिति में जान-माल का नुकसान न हो।
आफ्टरमार्केट CNG किट का चलन
भारत में आज भी फैक्ट्री फिटेड CNG गाड़ियों की संख्या सीमित है। बड़ी संख्या में लोग बाहर से CNG किट लगवाते हैं। इन गाड़ियों में CNG भरने का नॉब कभी बूट में होता है तो कभी सीट के नीचे। यात्रियों के अंदर बैठे रहने से पंप स्टाफ को नॉब तक पहुंचने में परेशानी हो सकती है, इसलिए सभी को बाहर उतरने के लिए कहा जाता है।
मीटर की पारदर्शी मॉनिटरिंग
CNG पंप का मीटर पेट्रोल और डीजल से अलग होता है। ग्राहक खुद मीटर देख सके और किसी तरह की गड़बड़ी या गलतफहमी न हो, इसके लिए भी वाहन से उतरकर बाहर खड़े रहना जरूरी होता है। इससे पारदर्शिता बनी रहती है।
गैस की महक से होने वाली परेशानी
CNG जहरीली नहीं होती, लेकिन इसकी तेज महक से सिर दर्द, चक्कर या उल्टी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। अगर भरते समय थोड़ी भी लीकेज हो जाए, तो बंद गाड़ी के अंदर यह ज्यादा असर कर सकती है। इसलिए सावधानी के तौर पर सभी को बाहर रखा जाता है।
निष्कर्ष:
CNG भरवाते समय गाड़ी से उतरना कोई बेवजह का नियम नहीं, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा और पारदर्शिता से जुड़ा जरूरी कदम है। अगली बार जब पंप पर आपसे उतरने को कहा जाए, तो समझ लें कि यह आपकी ही सुरक्षा के लिए है।
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