पत्थर चलाओ और हजार रुपए पाओ। बम चलाने का जज्बा हो तो पांच हजार मिल सकता है। जुमे की नमाज के बाद कानपुर में हिंसा कराने के बाद ये रेट तय किए गए थे। हिंसा के बाद मामले की जांच एसआईटी कर रही है। इसमें अब बड़े-बड़े खुलासे हो रहे हैं। हिंसा के लिए कई जगहों से अच्छी खासी फंडिंग भी की जा रही थी। एसआईटी अब दूध का दूध पानी का पानी कर रही है।
जांच में पता चला है कि नई सड़क पर जो हिंसा हुई उसका मुख्य उद्देश्य चन्द्रेश्वर हाता खाली कराना था। इसके लिए बिल्डर हाजी मोहम्मद वसी ने मुख्य आरोपित हयात जफर हाशमी के संगठन को 10 लाख रुपये दिए थे। हाता खाली होने के बाद 90 लाख रुपये और दिए जाने थे। यह खुलासा वसी ने एसआईटी की पूछताछ में किया है। 3 जून को हुई हिंसा की एसआईटी ने कोर्ट में जो केस डायरी दाखिल की है उसमें बताया गया कि पत्थरबाजों को एक हजार रुपए व पेट्रोल बम वालों को 5000 रुपए दिया गया। हिंसा किसी भी कीमत पर कमजोर ना हो इसके लिए खूब फंडिंग की गयी। पैसे दिए जाने की बात जगह-जगह बतायी गयी ताकि अधिक से अधिक युवा को जुटाया जा सके। हिंसा के बाद उपद्रवियों को हिंसा फैलाने के लिए पैसे दिए गए।
केस डायरी पब्लिक प्रोसिक्यूटर दिनेश अग्रवाल ने कोर्ट में पेश की है। वहीं वसी, जफर समेत हिंसा से जुड़े लोगों की एसआईटी डिटेल खंगाल रही है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि बिल्डर वसी ने पूछताछ में बताया कि चन्द्रेश्वर हाता की जमीन पर उसकी लंबे समय से नजर थी। वह वहां पर अपार्टमेंट के साथ एक मार्केट भी बनवाना चाहता था। इसी दौरान उसकी मुलाकात हयात जफर हाशमी से हुई। हयात ने बताया कि वह भाजपा नेत्री के आपत्तिजनक बयान पर बंदी कराने वाला है। वसी ने पुलिस को बताया कि यह बात सुनकर उसने हाता खाली कराने की योजना बनाई। इसके लिए उसने हयात से एक करोड़ रुपये में सौदा किया। 10 लाख उसे नकद दे दिए। बाकी रकम भी हाता खाली होने के बाद नकद ही दी जानी थी। जांच में पता चला है कि वसी ने हिंसा के लिए एक दिन में 34 लाख रुपए की दो प्रापर्टी बेची थीं। इस धन का इस्तेमाल हिंसा के लिए किया गया। इसे पहले उसने तीन प्रापर्टी अप्रैल, फरवरी और दिसंबर बेची। जिसकी कीमत 35 लाख, 17 लाख और 75 लाख थी। वहीं हाशमी ने मई, दिसंबर और जनवरी में प्रापर्टियां बेची जिसमें 14 लाख, 10 लाख और 7 लाख मिले।