शुरू हो गये कुख्यात बदमाश ‘बद्दो’ के बुरे दिन, एमडीए ने चलाया उसकी कोठी पर जेसीबी

मेरठ। मेरठ में ढाई लाख रुपये के इनामी कुख्यात बदमाश बदन सिंह बद्दो की कोठी का ध्वस्तीकरण शुरू हो गया है। खबरों के मुताबिक बद्दो की कोठी ढहाने के लिए जेसीबी ने दीवार गिरा दी है। इस दीवार के सहारे खाली प्लाट है। गुरुवार सुबह से पुलिस और प्रशासिनक अमला मौके पर पहुंच गया था और कोठी का ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू कर दी। सुरक्षा के मद्देनजर एसपी सिटी, दो एसपी, सीओ व छह थानों के फोर्स मौजूद है। इसके अलावा छह अन्य थानों की पुलिस और पीएसी बल मौजूद रहा।

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शुरू हो गये कुख्यात बदमाश ‘बद्दो’ के बुरे दिन, एमडीए ने चलाया उसकी कोठी पर जेसीबी

बता दें कि एमडीए की अध्यक्ष एवं कमिश्नर अनीता सी. मेश्राम ने 18 जनवरी को कोठी को ढहाने का आदेश दिया था। एमडीए की टीम ने बुधवार को कोठी का मौका मुआयना कर ध्वस्तीकरण का ब्लू प्रिंट तैयार किया। गुरुवार सुबह 10 बजे दो एएसपी, छह थानों की फोर्स और पीएसी जवान टीपीनगर के पंजाबीपुरा में पहुंच गए, जहां पर बदन सिंह बद्दो की आलीशान कोठी है। एमडीए की टीम भी दो जेसीबी लेकर ध्वस्तीकरण के लिए पहुंची। बद्दो की कोठी ढहाने के लिए जेसीबी ने दीवार गिरा दी है। शुरू हो गये कुख्यात बदमाश ‘बद्दो’ के बुरे दिन, एमडीए ने चलाया उसकी कोठी पर जेसीबी।

इस दीवार के सहारे खाली प्लाट है। कोठी को जेसीबी और हथोड़ों से तोड़ा जा रहा है। बद्दो 28 मार्च 2019 से फरार है। वह देश में है या विदेश में, इसका आज तक पता नहीं चल पाया। बद्दो की फरारी पर हाईकोर्ट इलाहाबाद में एक जनहित याचिका भी दायर है। इस पर हाईकोर्ट ने उप्र सरकार से जवाब मांगा हुआ है।

बदन सिंह बद्दो के खिलाफ 28 मार्च 2020 को लुक आउट नोटिस जारी किया गया था। उस पर फिरौती, हत्या, हत्या की कोशिश, अवैध हथियार रखने और उनकी आपूर्ति करने और बैंक डकैती जैसे 40 के करीब अन्य मामले दर्ज हैं। जहां तक अपराध की दुनिया में बद्दो का इतना बड़ा नाम होने की बात है तो यह कभी वक्त मेरठ की गलियों का छोटा-मोटा गुंडा था। हुआ यूं कि 1970 में पंजाब के अमृतसर से मेरठ आकर इसके पिता ने ट्रांसपोर्ट का धंधा शुरू किया था। सात भाइयों में सबसे छोटा बदन सिंह भी पिता के काम से जुड़ गया। इसके बाद वह अपराधियों के संपर्क में आया था। 80 के दशक में वह मेरठ के मामूली बदमाशों के साथ मिलकर शराब की तस्करी किया करता था। इसके बाद वह पश्चिमी यूपी के कुख्यात गैंगस्टर रविंद्र भूरा के गैंग में शामिल हो गया।

1988 में सबसे पहले उस पर हत्या का मामला दर्ज किया गया। बताया जाता है कि व्यापार में मतभेद होने पर राजकुमार नामक एक व्यक्ति को दिनदहाड़े गोली मार दी थी। इसके बाद उसने 1996 में वकील रविंद्र सिंह हत्या कर दी। इसी केस में 31 अक्टूबर 2017 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई, लेकिन वह महज 17 महीने बाद ही फरार हो गया। सूत्रों की मानें तो फिलहाल वह देश छोड़कर विदेश भाग गया है और उसकी लास्ट लोकेशन नीदरलैंड की बताई जा रही है। वहीं बैठकर अपने लोकल गुर्गों जरिए क्राइम की दुनिया में अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहा है।