सिंगापुर के प्रधानमंत्री वोंग हिंदू मंदिर में धार्मिक आयोजन में हुए शामिल

सिंगापुर के प्रधानमंत्री वोंग हिंदू मंदिर में धार्मिक आयोजन में हुए शामिल

सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग रविवार को ‘मार्सिलिंग राइज हाउसिंग एस्टेट’ स्थित श्री शिव-कृष्ण मंदिर पहुंचे और वहां धार्मिक आयोजन में शामिल हुए। यह मंदिर सिंगापुर का एकमात्र मंदिर है जहां भगवान शिव और भगवान कृष्ण की प्रतिमाएं विराजमान हैं। इस मंदिर में यह तीसरी बार धार्मिक आयोजन किया गया था। इससे पहले 1996 और 2008 में इसी तरह के समारोह आयोजित किए गए थे। इस धार्मिक आयोजन का उद्देश्य मंदिर को आध्यात्मिक गतिविधियों का केंद्र बिंदु बनाए रखना और श्रद्धालुओं को एक साथ लाना था।

समारोह की शुरुआत सुबह सात बजे विभिन्न अनुष्ठानों के साथ हुई। इसके लिए मंदिर के मुख्य भवन से लगभग 100 मीटर दूर विशेष रूप से टेंट लगाए गए थे, जहां श्रद्धालु एकत्रित हुए। सुबह आठ बजे भव्य कलश यात्रा निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में भक्त शामिल हुए। कलश में पवित्र जल भरा गया और उसे विशेष अनुष्ठान के साथ मंदिर लाया गया। यह यात्रा मंदिर परिसर के चारों ओर घूमते हुए संपन्न हुई, जिससे भक्तों को आध्यात्मिक अनुभूति प्राप्त हुई।

इस धार्मिक आयोजन में सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उनके साथ रक्षा मंत्री जकी मोहम्मद भी उपस्थित थे। मंदिर के पदाधिकारियों ने प्रधानमंत्री वोंग का पारंपरिक स्वागत किया और उन्हें सम्मानस्वरूप शॉल और माला भेंट की। मुख्य पुजारी नागराज शिवाचार्य ने प्रधानमंत्री वोंग को कलावा भी बांधा, जो हिंदू परंपरा में शुभता का प्रतीक माना जाता है।

इस धार्मिक आयोजन में लगभग 10,000 श्रद्धालु शामिल हुए, जिन्होंने पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की। आयोजन की सफलता में स्वयंसेवकों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही। करीब 800 स्वयंसेवकों ने यातायात प्रबंधन, सुरक्षा व्यवस्था और मंदिर में विभिन्न सेवाओं का जिम्मा संभाला। श्रद्धालुओं की सुविधा का विशेष ध्यान रखते हुए उन्हें मंदिर में सुचारू रूप से दर्शन और पूजा करने का अवसर प्रदान किया गया।

इस आयोजन ने सिंगापुर के बहुसांस्कृतिक समाज में धार्मिक सद्भाव और आध्यात्मिक मूल्यों को बढ़ावा देने का कार्य किया। यह आयोजन न केवल हिंदू समुदाय बल्कि अन्य समुदायों के लोगों के लिए भी एक महत्वपूर्ण अवसर बना, जहां उन्होंने भारतीय संस्कृति और परंपराओं को करीब से अनुभव किया। इस भव्य आयोजन ने एक बार फिर साबित किया कि सिंगापुर में विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों का सम्मान और संरक्षण किया जाता है।