पीएम मोदी की शैक्षणिक योग्यता पर सवाल उठाकर बुरे फंसे केजरीवाल, सुप्रीम कोर्ट ने भी दिया झटका

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविन्द केजरीवाल के खिलाफ सख्त निर्णय लिया है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल द्वारा मानहानि के एक मामले को रद्द करने की मांग को ठुकरा दिया है।

दरअसल, केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की शैक्षणिक योग्यता पर सवाल उठाया था, जिसको लेकर गुजरात विश्वविद्यालय ने उनके खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज करवाया था। केजरीवाल ने इसी मांग को रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को रद्द कर दिया है।

न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत ने इस साल अप्रैल में आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद संजय सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ इसी तरह की चुनौती को खारिज कर दिया था, जो मानहानि मामले में सह-आरोपी हैं।

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि प्रतिवादी (गुजरात विश्वविद्यालय) द्वारा दायर शिकायत न केवल वर्तमान याचिकाकर्ता से संबंधित है, बल्कि संजय सिंह से भी संबंधित है, जिनकी याचिका इस अदालत ने 8 अप्रैल, 2024 को खारिज कर दी थी। हमें उस दृष्टिकोण के अनुरूप होना चाहिए। पीठ ने कहा कि हम मौजूदा याचिका पर विचार नहीं करना चाहेंगे। इसे खारिज किया जाता है।

सुप्रीम कोर्ट में केजरीवाल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि याचिकाकर्ता का मामला संजय सिंह के मामले से अलग है क्योंकि उन्होंने उनके मामलों में अंतर बताने वाला चार्ट पेश करने के लिए समय मांगा था। पीठ ने कहा कि वह दलीलों की जांच करने को तैयार है लेकिन एक बार ऐसा करने के बाद केजरीवाल को अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

सिंघवी ने अदालत को बताया कि मानहानि का कोई मामला नहीं बनता क्योंकि केजरीवाल का बयान केवल देश के सर्वोच्च कार्यकारी प्रमुख की शैक्षणिक डिग्री को गुप्त रखने के कारण पर सवाल उठाने का था, जबकि विश्वविद्यालय को वास्तव में आगे आकर यह स्वीकार करना चाहिए कि यहां से पढ़ाई करने वाला व्यक्ति प्रधानमंत्री बन गया है।

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विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार पीयूष पटेल की ओर से उपस्थित सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि डिग्री वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई है और यहां तक ​​कि डिग्री उपलब्ध कराने के लिए केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा पारित संबंधित आदेश को भी गुजरात उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया है।