‘अब सामने आएगा सच’: कोर्ट में पेश हुआ श्रीकृष्ण के जन्म से लेकर मंदिर तोड़े जाने तक का इतिहास

मथुरा की सीनियर डिवीजन कोर्ट में शनिवार (24 दिसंबर, 2022) को ‘हिंदू सेना’ की याचिका पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद को लेकर सुनवाई हुई। सुनवाई में अदालत ने ज्ञानवापी ढाँचे की ही तरह ईदगाह का अमीन सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई 20 जनवरी, 2023 को होगी। इससे पहले ही, सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश करनी होगी।

इस मामले में, ‘हिंदू सेना’ के वकील शैलेश दुबे का कहना है कि इस माह की शुरुआत में 8 दिसंबर को संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता एवं उपाध्यक्ष सुरजीत सिंह यादव ने सिविल जज सीनियर डिवीजन (III) की जस्टिस सोनिका वर्मा की अदालत में श्री कृष्ण जन्मभूमि को लेकर दावा पेश किया था।

वकील शैलेश दुबे ने यह भी कहा है कि ‘हिंदू सेना’ की ओर से किए गए इस दावे में कहा गया था कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ जमीन पर मंदिर बना हुआ था। इस मंदिर को औरंगजेब ने तोड़ दिया था और ईदगाह बनवा दी थी। हिंदू सेना की ओर से अदालत में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से लेकर मंदिर बनने तक का पूरा इतिहास प्रस्तुत किया गया। उन्होंने यह भी कहा है कि हिंदू सेना ने अदालत से साल 1968 में ‘श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ’ और शाही ईदगाह के बीच हुए समझौते को भी अवैध बताते हुए निरस्त करने की माँग की है।

शैलेश दुबे का यह भी कहना है कि जस्टिस सोनिका वर्मा की अदालत ने ‘हिंदू सेना’ की याचिका पर सुनवाई करते हुए अमीन को आदेश दिया है कि वह विवादित स्थल का सर्वे कर 20 जनवरी, 2023 से पहले रिपोर्ट प्रस्तुत करे। कहा जा रहा है कि इससे पहले भी कई लोगों ने एक अन्य अदालत में ऐसी ही माँग वाली याचिका दाखिल की थी। हालाँकि, अब तक उन याचिकाओं पर कोई फैसला नहीं आया।

दरअसल, हिंदू पक्ष का दावा है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि की जमीन में बनी शाही ईदगाह में स्वास्तिक का चिह्न और मंदिर होने के प्रतीक हैं। साथ ही, यह दावा भी किया जाता रहा है कि मस्जिद के नीचे भगवान का गर्भ गृह है। VHP ने सर्वे वाले फैसले को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इससे सत्य सामने आएगा और न्यायालय को निर्णय लेने में आसानी होगी।

यह भी पढ़ें: वन रैंक वन पेंशन के रिवीजन का सीएम योगी ने किया स्वागत, बोले 25 लाख सैनिक परिवारों को मिलेगा लाभ

ज्ञानवापी ढाँचे का भी हुआ है सर्वे

गौरतलब है कि बहुचर्चित श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी ढाँचा मामले में भी याचिका दायर कर सर्वे कराने की माँग की गई थी। इसके बाद, वाराणसी की एक अदालत में मामले की सुनवाई हुई थी। वहाँ अदालत ने विवादित ढाँचे का वीडियो ग्राफिकल सर्वे कराने का आदेश दिया था। फिलहाल, इसका सर्वे पूरा हो चुका है। मामले की सुनवाई जारी है।