उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सूबे में फिल्म सिटी बनाने का ड्रीम प्रोजेक्ट शायद महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ अघाड़ी गठबंधन को कांच की तरह चुभ रहा है। शायद उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि कहीं बॉलीवुड यूपी में शिफ्ट न हो जाए। इस बात की बानगी वह बयान हैं, जो सीएम योगी द्वारा फिल्म सिटी को लेकर शुरू की गई कवायद के बाद आए हैं। दरअसल, योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट को लेकर शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी तीनों दलों ने हल्ला बोला है।
फिल्म सिटी के लेकर गरजी शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस
आपको बता दें कि इन दिनों योगी आदित्यनाथ यूपी में फिल्म सिटी बनवाने की कवायद में जुटे हैं। अभी बीते दिनों उन्होंने मुंबई के एक 5 सितारा होटल में बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार से मुलाक़ात भी की थी। केवल इतना ही नहीं, यूपी के गौतमबुद्ध नगर में यमुना एक्सप्रेस-वे के पास फिल्म सिटी बनाने के लिए एक हजार एकड़ जमीन भी तय की जा चुकी है।
योगी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर अघाड़ी गठबंधन ने तीखा हमला बोला है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा है कि किसी को अपने राज्य से जबरन कारोबार ले जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। फिल्म सिटी का सीएम योगी का फैसला नाकाम होगा। अगर कोई प्रगति करता है हम ईर्ष्या नहीं करते हैं। अगर कोई प्रतिस्पर्धा करता है तो हमें किसी की प्रगति के साथ कोई समस्या नहीं है लेकिन अगर जबरन कुछ भी लेने जा रहे हैं, तो निश्चित रूप से मैं ऐसा नहीं होने दूंगा।
वहीं शिवसेना सांसद संजय राउत का कहना है कि मुंबई से फिल्म सिटी को दूसरी जगह शिफ्ट करना आसान नहीं है। दक्षिण भारत में फिल्म उद्योग भी बड़ा है, पश्चिम बंगाल और पंजाब में भी फिल्म सिटी है। क्या योगी जी इन स्थानों पर भी जाएंगे और वहां के निर्देशकों/कलाकारों से बात करेंगे या वह केवल मुंबई में ही ऐसा करने जा रहे हैं?
शिवसेना को लेकर इस मुद्दे पर एनसीपी की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। एनसीपी नेता और मंत्री नवाब मलिक ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी यूपी में बॉलीवुड जैसी फ़िल्म सिटी बनाने की बात कर रहे हैं, अच्छी बात है, लेकिन ये समझ लेना की 100 साल से मुंबई को मिला बॉलीवुड का दर्ज़ा ख़त्म हो जाएगा, लोग पूरी तरह से अन्य राज्यों में चले जाएंगे। बॉलीवुड के दर्जे को कोई ख़त्म नहीं कर सकता।
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इसके अलावा कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने कहा कि बॉलीवुड को कोई कहीं नहीं ले जा सकता और ना ही यह किसी सरकार या राजनीतिक पार्टी के संरक्षण की मोहताज है। सिनेमा के दीवानों ने अपनी मेहनत से इस विराट दुनिया को बसाया है और यह इंटरनल प्रक्रिया सौ वर्षों से जारी है। नेता लोग इसे शिफ्ट करने या बचाने के मुगालते में ना रहें।