प्रभास और कृति सेनन स्टारर आदिपुरुष रिलीज से पहले और सिनेमाघरों में आने के बाद भी विवादों में हैं. फिल्म को लेकर अब देशभर के हिंदू लोग इसे बनाने वालों के खिलाफ खुलकर बोल रहे हैं. अब ये फिल्म कानूनी विवादों का भी सामना कर रही है लेकिन इसे बनाने वाले अपने बॉक्स ऑफिस कलेक्शन से खुद की वाहवाही कर रहे हैं. जबकि हम सभी जानते हैं कि फिल्म के टिकट हनुमान जी की सीट और रामायण के नाम पर खरीदे गए थे लेकिन स्टोरी लाइन एक कार्टून की तरह है. खुद रामानंद सागर की रामायण में श्रीराम का रोल निभाने वाले अरुण गोविल भी कह चुके हैं कि ये फिल्म हॉलीवुड की एक कार्टून है न कि रामायण से प्रेरित. हाल ही में फिल्म के खिलाफ लखनऊ में मामला दर्ज कराया गया है.
आदिपुरुष की टीम के खिलाफ मामला दर्ज
Spotboy के अनुसार, अखिल भारतीय हिंदू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शिशिर चतुर्वेदी ने फिल्म ‘आदिपुरुष’ के निर्माताओं और स्टार कास्ट के खिलाफ हजरतगंज पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई है. अपनी शिकायत में, चतुर्वेदी ने कहा कि फिल्म में हिंदू देवताओं की छवियों को आपत्तिजनक संवादों, वेशभूषा के साथ विकृत करके सनातनियों की भावनाओं का अपमान करने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास है. उन्होंने आरोप लगाया कि फिल्म निर्माताओं में दूसरे धर्मों के धार्मिक प्रमुखों से संबंधित फिल्म बनाने का साहस नहीं है. बता दें कि ‘आदिपुरुष’ और सीता के जन्म स्थान पर विवाद के बीच काठमांडू ने भारतीय फिल्मों के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया है. मेयर बालेन शाह के सचिवालय ने बताया, सभी 17 फिल्म हॉल को भारतीय फिल्मों की स्क्रीनिंग नहीं करने के लिए कहा गया है. अरुण गोविल जिन्होंने रामानंद सागर की रामायण के क्लासिक टेलीविजन रूपांतरण में भगवान राम की भूमिका निभाई, उन्होंने भी फिल्म की आलोचना की है.
गौरतलब है कि आदिपुरुष में लक्ष्मण के रूप में सनी सिंह, इंद्रजीत के रूप में वत्सल शेठ और हनुमान जी के किरदार में देवदत्त नागे दिखे. हालांकि, इनमें से लक्ष्मण छोड़ बाकी किसी के भी किरदार को लोगों ने पसंद नहीं किया. सैफ अली खान रावण के रोल में बिल्कुल भी नहीं जमे और फिल्म में सोने की लंका को लोहा जैसा काला दिखाया गया. हनुमान जी की इसमें दाढ़ी तो रखते हैं लेकिन मुसलमानों की तरह उनकी मूंछे नहीं होती.
अयोध्या के संतों ने की बैन की मांग
वहीं अयोध्या के संतों ने दावा किया कि आदिपुरुष में रामायण के पात्रों को गलत तरीके से दिखाया गया है. न्यूज एजेंसी आईएएनएस की रिपोर्ट के अनुसार, राम जन्मभूमि के प्रमुख पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि इतने विरोध के बावजूद फिल्म निर्माताओं ने रामायण के पात्रों को गलत तरीके से पेश किया है और हिंदू देवी-देवताओं को ‘विकृत’ तरीके से दिखाया है. रामनगरी के संतों ने फिल्म को भारत में बैन करने की मांग की है.
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सालासर बालाजी के पुजारी ने भी की आदिपुरुष की तीखी आलोचना
मालूम हो कि फिल्म रिलीज से पहले राजस्थान के सालासर बालाजी मंदिर के नितिन पुजारी ने हनुमान जी के गलत चित्रण और रामायण के पात्रों के कथित इस्लामीकरण (Islamization) करने का आरोप लगाया था. उन्होंने फिल्म की तीखी आलोचना की है. नितिन पुजारी ने हिंदू धर्म में एक आराध्य देवता हनुमान के चित्रण की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि फिल्म में हनुमान को माता सीता के सामने एक सम्मानजनक और श्रद्धापूर्ण तरीके से दिखाया जाना चाहिए. उन्होंने झुककर और छाती पर हाथ रखकर इस्लामी तरीके से प्रणाम करने वाले हनुमान के चित्रण पर कड़ी आपत्ति जताई. पुजारी के अनुसार नमस्कार करने का सनातनी तरीका हाथ जोड़कर है. उन्होंने कहा कि जब एक फिल्म निर्माता की टीम में पूरी तरह से इस्लामिक कर्मचारी होते हैं, तो यह उन दृश्यों और चित्रणों को जन्म दे सकता है जो पारंपरिक मान्यताओं और प्रथाओं से विचलित होते हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रामायण और महाभारत जैसे हिंदू महाकाव्यों के पात्रों को शास्त्रों के अनुसार चित्रित किया जाना चाहिए और योग्य कलाकारों को सौंपा जाना चाहिए, जिनके पास इन आंकड़ों के सांस्कृतिक महत्व के लिए गहरी समझ और सम्मान हो. वहीं अयोध्या के संतों ने भी आदिपुरुष को बैन करने की मांग की है.