यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता पर देश में बहस एक बार फिर तेज हो गई है। मध्य प्रदेश की राजधानी में ‘मेरा बूथ, सबसे मजबूत’ कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड की वकालत की तो यह चर्चा एक बार फिर शुरू हो गई कि क्या सरकार इस दिशा में काम कर रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल में कहा था ‘एक ही परिवार में दो लोगों के अलग-अलग नियम नहीं हो सकते। ऐसी दोहरी व्यवस्था से घर कैसे चल पाएगा? यूनिफॉर्म सिविल कोड के नाम पर ऐसे लोगों को भड़काने का काम हो रहा है।’
वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने पीएम मोदी के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि एक परिवार और एक राष्ट्र के बीच तुलना उचित नहीं है और इसे किसी पर थोपा नहीं जा सकता।
चिदंबरम ने कहा, एक परिवार में भी विविधता होती है। भारत के संविधान ने भारत के लोगों के बीच विविधता और बहुलता को मान्यता दी। यूसीसी एक आकांक्षा है। इसे एजेंडा-संचालित बहुसंख्यकवादी सरकार द्वारा लोगों पर थोपा नहीं जा सकता है।
इससे पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सक्रिय हुआ। बोर्ड ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए बैठक बुलाई और करीब तीन घंटे मंथन हुआ। फैसला हुआ कि इस मुद्दे पर एक ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा, जिस सरकार और अदालत के सामने पेश किया जाएगा, ताकि यूसीसी को रोका जा सके।
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, अगर भाजपा चाहें तो संसद में कानून ला सकती है। उन्हें किसने रोका है? यह उनकी सरकार है। संसद में रखने से पहले आप इस मुद्दे को क्यों उठा रहे हैं और विपक्षी दल पर दोष मढ़ रहे हैं? यूसीसी के नाम पर आपको कांग्रेस पार्टी या विपक्षी पार्टी पर दोष नहीं मढ़ना चाहिए।
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AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, पीएम मोदी देश की विविधता और बहुलवाद को समस्या मानते हैं। इसिलिए यूसीसी लाने की बात कह रहे हैं। मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि क्या वे हिंदू अविभाजित परिवार को खत्म कर सकते हैं?
डीएमके के टीकेएस एलंगोवन ने कहा कि हम यूसीसी नहीं चाहते क्योंकि संविधान ने हर धर्म को सुरक्षा दी है। सभी जातियों के लोगों को मंदिरों में प्रार्थना करने की अनुमति होनी चाहिए।