मानसून सत्र के दौरान सांसद प्लेकार्ड्स भी अपने साथ नहीं ले जा सकेंगे। लोकसभा सचिवालय की तरफ से जारी नई एडवाइजरी में कहा गया है कि सदन के भीतर किसी तरह का साहित्य, पैंफलेट, प्रश्नावली, प्रेस नोट, लीफलेट के साथ किसी भी तरह की प्रकाशित सामग्री को प्रतिबंधित किया गया है। ध्यान रहे कि अपने गुस्से के इजहार के लिए सांसद अपनी सीट से या फिर वेल में जाकर प्लेकार्ड्स का इस्तेमाल पहले करते रहे हैं। कई बार वो उन्हें फाड़कर सभापति की चेयर की तरफ भी उछालते रहे हैं।
इससे पहले लोक सभा सचिवालय की तरफ से जारी असंसदीय शब्द 2021 में शामिल शब्दों की सूची के बाद अब संसद परिसर भवन में विरोध प्रदर्शन को लेकर फरमान आया था। पार्लियामेंट्री बुलेटिन में कहा गया है कि संसद भवन परिसर में धरना, प्रदर्शन, भूख हड़ताल या किसी भी तरह के धार्मिक आयोजन की मनाही होगी। विपक्ष ने सरकार के इस फैसले पर सवाल खड़े किए हैं।
संसद के दोनों सदनों में अब चर्चा में हिस्सा लेते हुए जुमलाजीवी, बाल बुद्धि सांसद, शकुनी, जयचंद, लॉलीपॉप, चांडाल चौकड़ी, गुल खिलाए, पिठ्ठू जैसे शब्दों का इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने की बात कही। लोक सभा स्पीकर ओम बिरला का कहना है कि देश में भ्रम की स्थिति नहीं होनी चाहिए। किसी शब्द को बैन नहीं किया गया है। लोक सभा सचिवालय ने कुछ ऐसे शब्दों के इस्तेमाल को बंद किया है, जो लोकतंत्र की गरिमा के अनुकूल नहीं थे।
उधर, संसद भवन परिसर में प्रदर्शन पर रोक लेकर कांग्रेस ने तंज कसा है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट में लिखा कि विश्व गुरु की नई सलामी धरना मना है। इस ट्वीट पर टीएमसी सांसद डेरेक ओब्रायन ने कहा कि हर साल ये नोटिस पार्लियामेंट्री बुलेटिन में जारी करते हैं। विरोध दर्ज करने के लिए प्रदर्शन, धरना, हड़ताल, उपवास वैध संसदीय रणनीति का हिस्सा हैं। हमें कोई रोक नहीं रहा है। हालांकि, क्या आप कृपया मुझे अपडेट कर सकते हैं। क्या किसी ने हाल ही में कोई धार्मिक समारोह आयोजित नहीं किया।
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बीजेपी ने जयराम रमेश के ट्वीट पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि जब वो यूपीए शासनकाल में मंत्री थे तब भी ऐसे आदेश जारी किए गए थे। बीजेपी की आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय ने 2013, 2014 के एक सर्कुलर को शेयर कर पूछा कि वो पहले अपने फैसलों के बारे में तो बताएं कि ऐसा क्यों किया गया था?