देश में 15वें राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। जुलाई की 25 तारीख तक देश के नए राष्ट्रपति निर्वाचित कर लिए जाएंगे। इसके लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। 29 जून तक राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किए जाने हैं। इस बीच, पक्ष और विपक्ष दोनों ओर नए राष्ट्रपति के नाम पर मंथन चल रहा है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी इस कवायद में जुटी हैं। उन्होंने विपक्षी नेताओं से बैठक कर कई नाम दिए थे। उनकी ओर से शरद पवार, फारुख अब्दुल्ला और गोपाल कृष्ण गांधी के नाम राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार के तौर पर आगे किए गए थे, पर तीनों ही नेताओं ने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने में दिलचस्पी नहीं दिखायी है। ऐसे में विपक्ष का उम्मीदवार कौन होगा इस पर अबतक स्थिति साफ नहीं हुई है।
सत्ता पक्ष में भी राष्ट्रपति के चुनाव के लिए बैठकों का दौर चल रहा है। हालांकि, पूरा सरकारी अमला फिलहाल अग्निपथ की घोषणा के बाद हुए हंगामे को समेटने में लगा है, पर अंदरखाने अगला राष्ट्रपति कौन होगा इसको लेकर भाजपा के बड़े नेता मंथन करने में जुटे हैं। खबरों के मुताबिक भाजपा इसबार किसी दलित, मुस्लिम या आदिवासी महिला को राष्ट्रपति के चुनाव में प्रत्याशी बना सकती है। इनमें गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, अनुसूईया पटेल और झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू का नाम चर्चा में है।
अग्निपथ योजना पर बोले अजीत डोभाल, ‘जो करते रहे हैं वही करते रहेंगे तो सुरक्षित नहीं रहेंगे…’
आनंदी बेन पटेल गुजरात में लंबे समय तक पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार में मंत्री रही हैं, फिलहाल वह उत्तर प्रदेश की राज्यपाल हैं और प्रधानमंत्री की करीबी मानीं जाती हैं। उनके अलावा झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके भी इस रेस में शामिल बताई जा रही हैं। इन दोनों में से किसी एक को राष्ट्रपति बनाने की स्थिति में भाजपा एक तीर से दो निशाने लगा सकती है। पहला यह कि इससे आदिवासी समाज को साधने में आसानी होगी और दूसरा महिलाओं में भी मैसेज जाएगा।