जनता दल (यूनाइटेड) ने रविवार को राज्यसभा के लिए आरसीपी सिंह की जगह खीरू महतो को भेजने का फैसला किया। इसे सीएम नीतीश कुमार का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है। दरअसल, राज्यसभा का टिकट कटने के बाद अब रामचंद्र प्रसाद सिंह उर्फ आरसीपी सिंह से केंद्रीय मंत्री का पद छिनना तय हो गया है। बता दें, आरसीपी सिंह फिलहाल स्टील मंत्री हैं। वह तब तक बीजेपी से उन्हें राज्यसभा भेजने के लिए नहीं कह सकते, जब तक वह केंद्रीय मंत्रीमंडल से इस्तीफा नहीं दे देते। आरसीपी सिंह मोदी कैबिनेट में जदयू कोटे से एकमात्र मंत्री थे। आरसीपी सिंह को हटाने का फैसला जदयू नेताओं के बीच अंदरूनी कलह की ओर इशारा करता है। सिंह कभी नीतीश कुमार के करीबी सहयोगी थे।

नीतीश ने सिंह को दो बार भेजा राज्यसभा, पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बनाया
पूर्व आईएएस अधिकारी आरसीपी सिंह नीतीश कुमार के रेलमंत्री रहते हुए उनके करीब आए। जेडीयू में शामिल होने के साथ ही आरसीपी सिंह का कद लगातार तेजी से बढ़ता गया। नीतीश कुमार ने आसीपी सिंह को ना केवल दो बार राज्यसभा भेजा, बल्कि उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष तक बनाया। इसके बाद जब नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार में मंत्री बनाने का सवाल आया तो भी सिंह को ही मौका दिया गया।
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केंद्र में मंत्री पद के लिए RCP सिंह ने खुद का ही नाम किया आगे
आसीपी सिंह पर बिहार की राजनीति में हेलिकॉप्टर लैंडिंग का आरोप लगता रहा है। पार्टी के कार्यकर्ता ही उनपर कई बार आरोप लगा चुके हैं कि वह ब्यूरोक्रेट्स की तरह पार्टी को संचालित करने की कोशिश करते रहे। ऐसे में नीतीश कुमार ने सिंह को पद से हटा दिया था। जेडीयू अध्यक्ष के तौर पर केंद्र में मंत्री पद पाने की बात आई तो आसीपी सिंह ने खुद का नाम ही सबसे आगे कर दिया।
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