लखनऊ। कार्तिक पूर्णिमा का बहुत महत्व है। इस बार यह 30 नवंबर सोमवार को है। इस दिन स्नान के साथ दान का भी बहुत महत्व है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। ज्योतिषाचार्य प्रशांत तिवारी ने बताया कि इस बार कार्तिक पूर्णिमा पर सर्वार्थसिद्धि योग व वर्धमान योग बन रहे हैं। इस योग के कारण कार्तिक पूर्णिमा का महत्व और भी बढ़ जाता है। ऐसी मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा में या तुलसी के पास दीप जलाने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। गंगाजल
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कार्तिक पूर्णिमा पर इस बार कोरोना के कारण कई जगह गंगा स्नान की अनुमति नहीं है। इसलिए श्रद्धालु घर पर नहाने के लिए रखे गए पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान का पुण्य ले सकते हैं। गंगाजल
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कार्तिक पूर्णिमा: ज्योतिषाचार्य प्रशांत तिवारी के अनुसार इस दिन किए जाने वाले दान-पुण्य समेत कई धार्मिक कार्य विशेष फलदायी होते हैं। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा की संध्या पर भगवान विष्णु का मत्स्यावतार हुआ था। दूसरी मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन महादेव ने त्रिपुरासुर का वध किया था। गंगाजल
तीसरा उपच्छाया ग्रहण 30 नवंबर को
कार्तिक पूर्णिमा: तीसरा उपच्छाया ग्रहण भी 30 नवंबर को ही है। यह वास्तव में चंद्रग्रहण नहीं होता। इस उपच्छाया ग्रहण की समयावधि में चंद्रमा की चांदनी में केवल धुंधलापन आ जाता है। इससे ग्रहण के सूतक भी नहीं लगेगा। भारत सहित यह उपच्छाया अधिकतर यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, दक्षिण-पश्चिमी दक्षिण अमरीका (पूर्वी ब्राजील, उर्गवे, पूर्वी अर्जेन्टीना), प्रशांत तथा हिन्द महासागर आदि क्षेत्रो में दिखाई देगा। भारत के कई प्रांतों में यह उपच्छाया दिखाई नही देगी।