स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर सावरकर के नाम पर सियासी गलियारों का माहौल ख़ासा गर्म नजर आ रहा है। बीते दिन जहां एआईएमआईएम मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने वीर सावरकार को लेकर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को आड़े हाथों लिया था। वहीं, अब वीर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने ओवैसी के बयान पर कटाक्ष किया है। रंजीत सावरकर का कहना है कि देश में सिर्फ एक ही राष्ट्रपिता नहीं हो सकते हैं।
वीर सावरकर ने पोते ने ओवैसी पर बोला हमला
दरअसल, बीते दिन एक कार्यक्रम के दौरान राजनाथ सिंह ने कहा था कि वीर सावरकर ने महात्मा गांधी के कहने पर ही अंग्रेजों को दया याचिका भेजी थी। उनके इस बयान पर ओवैसी ने तगड़ा तंज कसते हुए इतिहास को तोड़ मरोड़ कर इतोहास पेश करने का आरोप लगाया था। उन्होंने अपने बयान में कहा था कि अगर ऐसा ही होता रहा तो एक दिन लोग महात्मा गांधी को हटाकर वीर सावरकर को राष्ट्रपिता बना देंगे।
ओवैसी के इस बयान पर वीर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने कहा कि भारत जैसे देश का एक ही राष्ट्रपिता नहीं हो सकता। स्वतंत्रता की लड़ाई में हजारों ऐसे हैं जिन्हें भुला दिया गया है। रंजीत सावरकर ने कहा कि राष्ट्रपिता की अवधारणा उन्हें स्वीकार्य नहीं है। कोई मांग नहीं कर रहा है कि वीर सावरकर को राष्ट्रपिता कहा जाए क्योंकि यह अवधारणा स्वयं स्वीकार्य नहीं।
आपको बता दें कि बीते दिन एक कार्यक्रम के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा था कि जेल में बंद सावरकर ने महात्मा गांधी के कहने पर ही अंग्रेजों को दया याचिका लिखी थी। इस बारे में वो बताते हैं कि सावरकर को लेकर कई तरह झूठ फैलाए गए हैं। ऐसा कहा गया था कि सावरकर ने अंग्रेजों के सामने कई बार दया याचिका डाली थी। लेकिन सच तो ये है कि सावरकर ने ये सब गांधी जी के कहने पर किया था। उन्हीं के कहने पर उन्होंने जेल में बैठ दया याचिका दाखिल की थी।
उनके इस बयान पर पलटवार करते हुए ओवैसी ने कहा कि क्या ये झूठ है कि ‘वीर’ ने तिरंगे को नकार दिया था और वो भगवा को झंडे के तौर पर चाहते थे? ओवैसी ने राजनाथ सिंह के भाषण पर सवाल उठाते हुए आगे कहा की कल आपने अपने भाषण में कहा था कि सावरकर ने हिंदू उसको माना था जिसकी जन्मभूमि या मातृभूमि भारत था। लेकिन सावरकर ने हिंदू को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया था जिसके लिए भारत जन्मभूमि और पवित्र भूमि थी।
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उन्होंने आगे लिखा कि उनके (सावरकर) विचार में भारत मुसलमानों और इसाइयों के लिए पवित्र भूमि नहीं थी और इसलिए वो भारत के प्रति वफादार नहीं हो सकते थे। रक्षा मंत्री के रूप में इस पर आपका क्या विचार है? क्या आप इसे मानते हैं? ओवैसी ने ये भी कहा जिसने भी आपका भाषण लिखा है, उसे निकाल देना चाहिए।