‘आगे नया विहान नहीं, अवसान की तरफ़ जा रहा रास्ता’, अखिलेश के जले पर नमक छिड़क रहे शिवपाल ?

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव गुरुवार को तीसरी बार समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाएंगे लेकिन दूसरी ओर उनके चाचा शिवपाल यादव उनके जले पर नमक छिड़कने का प्रयास कर रहे हैं। शिवपाल ने अखिलेश को उनकी विफलतावों की याद दिलाते हुए तंज कसने की कोशिश की है। दरअसल अखिलेश यादव की अगुवाई में समाजवादी पार्टी लगातार चार चुनाव हार चुकी है। अब अखिलेश बीजेपी को हराने के लिए 2024 में गैर बीजेपी की सरकार बनाने का समर्थन कर रहे हैं।

लखनऊ में चल रहा सपा का राष्ट्रीय सम्मेलन

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में समाजवादी पार्टी का दो दिवसीय अधिवेशन चल था है। बुधवार को राज्य स्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया हुआ जिसमें नरेश उत्तम पटेल को समाजवादी पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। गुरुवार को राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश को नया अध्यक्ष चुना जाएगा। लखनऊ में चल रहे सम्मेलन में करीब 25 हजार कार्यकर्तावो और नेताओं का जमावड़ा लगा था। हालाकि समाजवादी पार्टी के इस अधिवेशन में सहयोगी दलों के नेताओं को आमंत्रित नहीं किया गया था।

शिवपाल का अखिलेश पर निशाना

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर शिवपाल ने तंज कसा है। शिवपाल ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा है, “पहले साल 2014, फिर साल 2017, फिर साल 2019 और इसके बाद साल 2022… अब आज के बाद आगे नया विहान नहीं, मार्ग अवसान की तरफ जाता दिख रहा है।”

अखिलेश की अगुवाई में 4 चुनाव हार चुकी है सपा

उत्तर प्रदेश में 2012 के चुनाव के बाद समाजवादी पार्टी लगातार चार चुनाव हार चुकी है। 2014का लोकसभा चुनाव, 2017 का विधानसभा चुनाव, BB2019 का लोकसभा चुनाव और 2022 का विधानसभा चुनाव. शिवपाल ने इन चुनावों की याद दिलाकर समाजवादी पार्टी को ये अहसास कराने की कोशिश की है कि अब समाजवादी पार्टी के लिए नया सवेरा होने की सम्भावना नहीं है। समाजवादी पार्टी जिस रास्ते पर चल रही है उसके बाद उसका रास्ता अब अवसान की तरफ़ ही जाता दिख था है। अखिलेश को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने के बीच शिवपाल का ये इशारा काफ़ी अहम माना जा था है।

विधानसभा चुनाव में शिवपाल को मिली सिर्फ एक सीट

विधानसभा चुनाव के दौरान अखिलेश यादव लाव लश्कर के साथ शिवपाल यादव के आवास पर पहुंच गये थे। इसके बाद शिवपाल के पत्नी और बेटे ने दूसरी जगह उन्हें जाने से रोक दिया। शिवपाल की बिना संयुक्त प्रेसवार्ता के समाजवादी पार्टी में जाने की इच्छा नहीं थी लेकिन पत्नी और बच्चे के आगे उन्हें झुकना पड़ा और अपने परिवार के साथ ही रहने का फैसला किया। उस बैठक में अखिलेश यादव ने 15 सीटें अंतिम तौर पर देने का वादा किया था लेकिन जब टिकट बांटने की बारी आई तो केवल शिवपाल को एक टिकट देकर इति श्री कर ली थी।

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अखिलेश ने शिवपाल की डिमांड पर गौर नहीं किया था

इसी के बाद शिवपाल यादव ने भाजपा में जाने की बात की मीडिया में चल रही अटकलों का खंडन किया और समाजवादी पार्टी के साथ ही बने रहने की बात कही थी। लेकिन वे इसकी घोषणा करने के बाद पत्नी और बच्चों के कहने पर फंस गये। फिर वे कई बार अखिलेश यादव से बात करने की कोशिश करते रहे लेकिन एक-एक कर उनके द्वारा मांगी गयी सीटों पर ही समाजवादी पार्टी टिकट देती गयी। गाजीपुर जिले की जहूरबाद से सादाब फातिमा हों या फिर लखनऊ सीट के लिए शारदाप्रताप शुक्ला। अखिलेश ने शिवपाल के किसी खास को टिकट नहीं दिया था।