बंगाल में ममता की जीत से बांग्लादेश के कट्टरपंथी उत्साहित, चिंता में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव  में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस  की जीत को लेकर बांग्लादेश के कट्टरपंथियों में  खुशी की लहर है। इसके विपरीत वहां का अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय चिंतित और कट्टरपंथ के बढ़ने को लेकर सशंकित हैं। तृणमूल को विभिन्न इस्लामिक संगठनों के साथ-साथ बांग्लादेश की इस्लामिक पार्टी, इस्लामिक धर्मगुरु, हाफ़िज़, मौलानाओं ने बधाई दी है। दूसरी तरफ बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष कर रहे पारंपरिक धार्मिक समूहों के नेताओं ने कहा है कि तृणमूल की जीत के परिणामस्वरूप पश्चिम बंगाल में इस्लामिक कट्टरता को प्रश्रय मिलेगा। बंगाल इस्लामिक उग्रवादियों का अड्डा बनेगा और उग्रवाद बढ़ने से दोनों देशों के शांतिप्रिय नागरिकों की शांति भंग होगी। उदाहरण के लिए, हिंदू नेताओं ने हरकत उल जिहाद सहित इस्लामी उग्रवादी नेताओं की गिरफ्तारी का मुद्दा उठाया है, जो बांग्लादेश से भाग गए और पश्चिम बंगाल में शरण ली। इस सिलसिले में हिन्दुस्थान समाचार ने बांग्लादेश के कछ प्रमुख मुस्लिम एवं हिन्दू  संगठनों से जुड़े लोगों से बात की।

पश्चिम बंगाल के लोगों को ममता की धर्मनिरपेक्षता पर भरोसा: वाहिदुज्जमां

बांग्लादेश के कौमी मदरसा टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना सैयद वाहिदुज्जमां ने कहा, “यह  देवबंदी अलेम-उलामा देवबंद की जीत है। देवबंदी इस्लामिक अलीम-उलेमा भारत के निर्माण के बाद से धर्मनिरपेक्षता के लिए काम कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल के लोगों को इसी पर विश्वास है। तृणमूल की इस जीत से न केवल पश्चिम बंगाल को लाभ होगा, बल्कि भारत की अगली केंद्र सरकार और विश्व मानवता को भी फायदा होगा। हम बांग्लादेश के  आलेम समाज की ओर से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बधाई देते हैं।”

ममता से सीखनी होगी धर्मनिरपेक्षता : अतैकी

बांग्लादेश के कौमी मदरसा शिक्षक संघ के महासचिव हफीज मौलाना अतीकुर रहमान अतैकी ने बताया  कि ममता कैबिनेट के सदस्य मौलाना सिद्दिकुल्लाह ने हमारे साथ बैठक की थी। तब ममता बनर्जी की देशभक्ति की बातें सुनकर मैं अभिभूत हो गया था। उनके मुताबिक अगर धर्मनिरपेक्षता सीखनी है तो ममता दीदी से सीखनी होगी। मौलाना अतैकी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में 90,000 मस्जिदें हैं। उन्होंने कई मस्जिदों के दौरे किये हैं।  उन मस्जिदों के सभी इमाम-मोअज़्ज़म दीदी (ममता बनर्जी) को आशीर्वाद देते हैं। ममता बनर्जी भारत में धर्मनिरपेक्षता की प्रतीक  हैं।

तृणमूल की जीत धर्मनिरपेक्ष आम लोगों की जीत : मदनी 

हेफाजत-ए-इस्लाम बांग्लादेश के संस्थापक अल्लामा अहमद शफी के बेटे मौलाना अनस मदनी ने तृणमूल की जीत को आम लोगों की जीत बताया है। उन्होंने हेफ़ाज़त-ए-इस्लाम समिति के विवाद पर  कोई टिप्पणी नहीं की।

तृणमूल की जीत लोगों के वोट के अधिकार की रक्षा की जीत: मसूद

इस्लामिक फाउंडेशन बांग्लादेश के पूर्व निदेशक और बांग्लादेश जमीयत उलेमा के अध्यक्ष मौलाना फरीदुद्दीन मसूद ने कहा कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की जीत लोगों के मताधिकार की रक्षा की जीत है। यह जीत इस तथ्य के कारण है कि नागरिक ठीक से मतदान करने में सक्षम थे। मसूद ने तृणमूल को जिताने के लिए पश्चिम बंगाल के लोगों को बधाई दी।

 क्या कहते हैं अल्पसंख्यक हिन्दू : –

 चुनाव के बाद की हिंसा शर्मनाक : पलाश कांति दे –

 बांग्लादेश हिंदू महाजोट के प्रवक्ता पलाश कांति दे तृणमूल की जीत को धर्मनिरपेक्षतावादियों की जीत मानने को तैयार नहीं है। उनके शब्दों में मौलाना सिद्दिकुल्लाह के ‘उलेमाये हिंद’ और इस्लामिक पार्टी के साथ गठबंधन तृणमूल कांग्रेस के इस्लामिक कट्टरपंथ के समर्थन का परिचायक है। ममता पंडितों के लिए भत्ता देकर  पश्चिम बंगाल की जनता को धर्मनिरपेक्षता के नाम पर बेवकूफ बना रही हैं। बांग्लादेश भी ममता बनर्जी द्वारा दिखाए गए वोट व्यापार के रास्ते पर चल रहा है। उन्होंने कहा कि 2001 में बीएनपी-जमात के संसदीय चुनाव जीतने के बाद, बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों को उसी तरह सताया गया जैसे पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनावों के बाद हिंदू धर्म के अनुयायियों पर अत्याचार किये जा रहे हैं । भारत जैसे लोकतंत्र में चुनाव के बाद इस तरह की घटनाएं  शर्मनाक हैं।

कुछ लोग देख रहे वृहत्तर बंगाल का ख्वाब

पलाश कांति दे ने  पश्चिम बंगाल का नाम बदल कर  ‘बांग्ला’ किये जाने के प्रस्ताव के पीछे वृहत्तर बंगाल बनाने की साजिश का अंदेशा व्यक्त करते हुए कहा कि  कुछ लोग पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा और बांग्लादेश को  ‘वृहतर बांग्ला’ बनाने का भी सपना देख रहे  हैं। हमने खून देकर देश को आजाद कराया है इसलिए यह सोचना ठीक नहीं है कि नाम बदलकर बांग्लादेश को निगलने  की साजिश सफल नहीं होने देंगे। पलाश कांति सहित बांग्लादेश के हिंदू दलों के अन्य नेताओं का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस की जीत पश्चिम बंगाल में कट्टरपंथ के उदय को और उजागर करेगी। बांग्लादेश से भारत में शरण लेने वाले इस्लामिक उग्रवादियों के लिए पश्चिम बंगाल पनाहगाह बन जाएगा तथा इस्लामी उग्रवाद के उदय से दोनों देशों के शांतिप्रिय नागरिकों की शांति भंग होगी।

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