माघ पूर्णिमा के गंगा स्नान का है विशेष महत्व, मिलता है श्री हरि दर्शन का फल

ज्योतिषाचार्य एस. एस. नागपाल

माघ पूर्णिमा को स्नान, दान एवं यज्ञ का बड़ा महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन देवतागण गंगा स्नान के लिए तीर्थराज प्रयाग की धरा पर आते हैं। इसी दिन माघ स्नान का अन्तिम स्नान होता है और इसी के साथ कल्पवास समाप्त होता है। पूर्णिमा तिथि 26 फरवरी को दिन 3:49 बजे से प्रारम्भ होकर 27 फरवरी को दिन 01:46 तक रहेगी।

हालांकि व्रत की पूर्णिमा 26 फरवरी को रहेगी तथा 27 फरवरी 2021 को स्नान दान की पूर्णिमा है।पदम् पुराण में माघ स्नान का महत्व बताते हुए महादेव ने कहा है कि चक्र तीर्थ में श्री हरि का और मथुरा में श्री कृष्ण का दर्शन करने से मनुष्य का जो फल मिलता है वहीं माघ मास में स्नान करने से फल मिलता है।

माघ पूर्णिमा के दिन गंगातट या किसी तीर्थ स्नान के सरोवर या नदी तट पर स्नान करने का विशेष महत्व है। इस दिन गाय, तिल, गुड़, कपास, घी, लडडू , फल, अन्न एवं कम्बल के दान करने से पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करनी चाहिए। पितरों का श्राद्ध भी करना चाहिए।

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मान्यता के अनुसार माघ पूर्णिमा पर प्रात काल स्नान करने से रोगों का नाश होता है। दान करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली तमाम बाधाएं दूर होती हैं। देवताओं का विशेष आर्शीवाद प्राप्त होता है। माघी पूर्णिमा पर स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।