उप्र : गांव-गांव युवाओं की संबल बनी ग्राम स्वरोजगार योजना

उत्तर प्रदेश सरकार युवाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के लिए बड़े प्रयास कर रही है। खाद्य प्रसंस्करण की योजनाएं गांव-गांव में बदलाव ला रही हैं। युवा खुद का स्वरोजगार तो स्थापित कर ही रहे हैं साथ में दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं। महात्मा गांधी खाद्य प्रसंस्करण ग्राम स्वरोजगार योजना इसकी बड़ी मिसाल बनी है। इस योजना का लाभ लेकर गांव के किसान और युवा, उद्यमी बनने के साथ आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहे हैं।

राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि सरकार की प्राथमिकता गांवों में स्वरोजगार के इच्छुक युवाओं को प्रशिक्षण देकर उनको आत्मनिर्भर बनाने की है, जिससे युवाओं को आर्थिक लाभ होने के साथ गांव का विकास भी संभव हो सके।

स्वरोजगार के लिए युवाओं को मिल रहा प्रशिक्षण

महात्मा गांधी खाद्य प्रसंस्करण ग्राम स्वरोजगार योजना इसमें बड़ी सहायक बनी है। पंचायत स्तर पर युवाओं को तीन दिवसीय खाद्य प्रसंस्करण जागरूकता शिविर से जोड़ा जा रहा है। योजना से जुड़े युवाओं को एक महीने का उद्यमिता विकास प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद किसान और युवा फल-सब्जी, मसाला, दुग्ध, अनाज प्रसंस्करण की इकाईयां स्थापित कर रहे हैं।

खाद्य प्रसंस्करण की इकाई स्थापित करने वाले युवा गांव के बेरोजगार युवकों को भी अपने यहां रोजगार दे रहे हैं। योजना के तहत खाद्य प्रसंस्करण की इकाई स्थापित करने वाले युवाओं को मशीन या उपकरण की लागत का अधिकतम 50 प्रतिशत और एक लाख रुपये का अनुदान भी दिया जा रहा है, जिससे गांव के किसान और युवाओं को संबल मिला है और वे स्वयं का रोजगार स्थापित करने में सफल हो रहे हैं।