पंतनगर कृषि विवि को केंद्रीय विश्वविद्यालय को दर्जा देने का विरोध

नैनीताल। लंबे समय तक सुप्तावस्था में रहा उत्तराखंड क्रांति दल भी नए प्रदेश अध्यक्ष की अगुवाई में विधानसभा चुनाव करीब आते सक्रिय हो गया है। भू-कानून के बाद अब दल ने पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिए जाने की मुख्यमंत्री की सिफारिश का विरोध करने का ऐलान किया है।

सोमवार को पार्टी के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष डॉ. नारायण सिंह जंतवाल की अगुवाई में नैनीताल क्लब में आयोजित हुई पत्रकार वार्ता में कहा गया कि पंतनगर विश्वविद्यालय देश का पहला, हरित क्रांति का प्रणेता कृषि विश्वविद्यालय है। कहा कि इसे केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाया जाना ना तो प्रदेश की जनता के हित में है, और ना ही कृषकों के लिए। कहा कि इस संबंध में यदि सरकार द्वारा निर्णय वापस नहीं लिया गया तो पार्टी कार्यकर्ता कृषकों और युवाओं के साथ मिलकर सड़कों पर उतर कर उग्र आंदोलन करेंगे।

डॉ. जंतवाल ने कहा कि पंतनगर विश्वविद्यालय प्रदेश ही नहीं बल्कि देश का भी गौरव रहा है। जब देश के दूसरे राष्ट्रपति राधाकृष्णन शिक्षा मंत्री थे तो उन्होंने देश में कृषि विश्वविद्यालय बनाए जाने की संकल्पना की थी, जिस पर इंडो अमेरिकन टीम ने सर्वे कर पंतनगर क्षेत्र की भूमि का चयन किया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत के प्रयासों से 1960 में पंतनगर में भूमि अनुदान विश्वविद्यालय की नींव रखी गई। शुरुआती दौर में विश्वविद्यालय के पास करीब 16000 एकड़ भूमि थी। इसमें से पहले बड़ी मात्रा में भूमि का आवंटन सिडकुल को कर दिया गया। अब विश्वविद्यालय के पास केवल 12500 एकड़ भूमि ही बची है। विश्वविद्यालय में अध्ययन के लिए 75 फीसदी सीटें प्रदेश के बच्चों के लिए आरक्षित हैं। साथ ही यहां शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक पदों पर नियुक्ति में भी प्रदेशवासियों को वरीयता दी जाती है। यदि विश्वविद्यालय को केंद्रीय हाथों में सौंप दिया गया तो प्रदेश की जनता को यह लाभ नहीं मिल पाएगा।

इस दौरान पूर्व पालिकाध्यक्ष श्याम नारायण, प्रकाश पांडे, वीरेंद्र जोशी, भगवत मेहरा, खीमराज बिष्ट, नीरज बिष्ट, अंबा दत्त बवाड़ी, पूरन भट्ट आदि कार्यकर्ता मौजूद रहे।