अल्पसंख्यक आयोग ने कासगंज में युवक की संदिग्धावस्था में मौत पर उप्र सरकार को भेजा नोटिस

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने उत्तर प्रदेश के कासगंज के थाने में 22 वर्षीय एक युवक की संदिग्धावस्था में मौत के मामले में उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक और मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर उनसे 15 दिनों में जवाब तलब किया है। यह जानकारी आयोग के अध्यक्ष सरदार इकबाल सिंह लालपुरा ने आज एक संवाददाता सम्मेलन में दी। इस मौके पर आयोग के सचिव और उप सचिव भी मौजूद थे।

सरदार लालपुरा ने बताया कि उत्तर प्रदेश के कासगंज में 22 वर्षीय युवक अल्ताफ की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के मामले में आयोग ने संज्ञान लिया है और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी कर उनसे जवाब तलब किया है। उनका कहना है कि अगर आयोग जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ तो मौके का दौरा भी किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि त्रिपुरा में अल्पसंख्यक समुदाय पर हुए हमले के बारे में भी वहां के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस भेजा गया है। उन्होंने बताया कि पिछले तीन महीने में आयोग ने विभिन्न मामलों में 70 से अधिक नोटिस और एडवाइजरी जारी की है। आयोग लगातार अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए कार्य कर रहा है। आयोग की तरफ से लखीमपुर खीरी और सिंधु बॉर्डर पर एक सिख युवक के मारे जाने के मामले में भी नोटिस जारी किया गया था, जिसका जवाब आयोग को मिल गया है और आयोग अगले हफ्ते लखीमपुर खीरी का दौरा भी करेगा।

गौरतलब है कि आयोग की तरफ से अल्पसंख्यक समुदायों के शैक्षणिक विकास के लिए भी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं और विदेशों में अल्पसंख्यकों के आला तालीम हासिल करने के लिए उन्हें लोन भी प्रदान किया जाता है। उनका कहना है कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को कारोबार शुरू करने के लिए भी बहुत ही कम ब्याज पर लोन दिया जाता है। इसके अलावा अल्पसंख्यक समुदाय के ऐसे तमाम लोगों को, जिन्हें नौकरी मिलने के बाद प्रशिक्षण दिया जाता है, आयोग उन्हें सहायता राशि उपलब्ध कराता है। अल्पसंख्यक आईएएस प्रशिक्षुओं को भी प्रशिक्षण के दौरान सहायता राशि उपलब्ध कराई जाती है। अल्पसंख्यक समुदाय से सम्बंध रखने वाले दस्तकारों और हुनरमंदों को उनके प्रोडक्ट बेचने के लिए अल्पसंख्यक मंत्रालय की तरफ से हुनर हाट का आयोजन किया जा रहा है। इस सम्बंध में आयोग भी अल्पसंख्यक समुदाय के दस्तकारों और हुनरमंदों की पहचान कर उन्हें अवसर प्रदान करने की कोशिश में जुटा हुआ है।

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उन्होंने यह भी बताया कि सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों को 27 साल बीत जाने के बाद भी अभी तक उन्हें मुआवजा नहीं मिला है। ऐसे 9 राज्यों को आयोग ने नोटिस जारी किया है और विस्तृत विवरण तलब किया है। अफगानिस्तान में जारी संकट के दौरान वहां से आए सिख, हिंदू और मुस्लिम शरणार्थियों को भारत में शरण दिए जाने की प्रक्रिया चल रही है। इससे पहले दशकों से यहां पर रह रहे इस तरह के शरणार्थियों को भारत में नागरिकता दिए जाने का मामला चल रहा है और आयोग इसमें मदद कर रहा है। इस सिलसिले में आयोग ने पिछले दिनों गृहमंत्री से भी मुलाकात की है।