कृषि बिल को लेकर पंजाबी सिंगर से भिड़ी कंगना, जस्सी बोले- खुद का चबूतरा टूटा…

नए कृषि बिल को लेकर सरकार से ज्यादा तो कंगना रनौत सोशल मीडिया पर ट्रोल हो रही है।कंगना हर रोज किसी न किसी मुद्दे को लेकर किसी न किसी सेलेब्रिटी से भीड़ ही जाती है, और फिर उन्हें जमकर ट्रोलिंग का सामना करना पड़ता है। इन दिनों कंगना किसान बिल का समर्थन करते हुए कई बार किसानों के विरोध में ट्वीट कर चुकी है।

कंगना ने पहले बिलकिस दादी से जुड़ा ट्वीट किया फिर फजीहत होने के बाद उसे डिलीट किया। फिर बिग बॉस फेम पंजाबी सिंगर हिमांशी खुराना से भीड़ गई।अब इस लिस्ट में एक नया नाम जुड़ गया है, मशहूर पंजाबी सिंगर जसबीर सिंह जस्सी……

नए कृषि बिलों को लेकर कंगना और जसबीर जस्सी में सोशल मीडिया पर जबरदस्त बहस हुई है। कंगना रनौत ने अपने एक ट्वीट में किसान आंदोलन की तुलना सीएए आंदोलन से कर दी। कंगना ने लिखा कि पीएम ने शाहीन बाग वालों को कितना समझाया था लेकिन वे नहीं समझे। उनके इस ट्वीट पर जस्सी ने लिखा कि बीएमसी ने एक चबूतरा तोड़ दिया तो दुनिया सिर पर उठाए घूम रही थीं। अब लोगों को ज्ञान दे रही हैं। जस्सी ने लिखा, ‘मुंबई नगर निगम ने एक चबूतरा तोड़ा था तो दुनिया सिर पर उठाए घूमती थी। किसान की मां जमीन दांव पर लगी है और बात करती है समझाने की। किसान के हक में नहीं बोल सकती तो उसके खिलाफ तो मत बोलो कंगना। चापलूसी और बेशर्मी की भी कोई हद होती है।’ देखिए जस्सी का ट्वीट…

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जस्सी के ट्वीट पर कंगना का जवाब

इसके बाद कंगना ने रिप्लाई करते हुए लिखा, ‘जस्सी जी इतना गुस्सा क्यों हो रहे हैं? नए कृषि बिल क्रांतिकारी बिल हैं। ये किसानों को सशक्तिकरण की नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। मैं तो किसानों के हक की बात कर रही हूं। आप किसके हक की बात कर रहे हैं पता नहीं।’ इस पर जस्सी ने फिर रिप्लाई करते हुए लिखा, ‘कंगना जी ये कौनसा रेवोलुशन है जो किसानों को समझ नहीं आ रहा सिर्फ आपको और सरकारी ट्विटर ट्रोल्स को समझ आ रहा है? मैंने पूरा बिल पढ़ा है उसमें रेवोलुशन किसानों के लिए नहीं प्राइवेट प्लेयर्स और उद्योगपतियों के लिए है। किसान अपना अच्छा बुरा सोच सकता है, आप उनके लिए मत सोचो।’ देखिए जस्सी का ट्वीट…

इसके बाद कंगना ने लिखा, ‘मैं भी एक किसान परिवार से हूं, आपने कौनसा बिल पढ़ा है? अगर बिल पढ़ा होता तो साफ दिखता कि जिन किसानों को नई सुविधाएं नहीं चाहिए। वो पुराने तरीके से लेन-देन कर सकते हैं। नए बिल में किसानों को पुराने प्रावधान चुनने का विकल्प है , अगर वे ऐसा चाहते हैं तो।’