भारत-चीन सीमा पर जारी गतिरोध के बीच बाइडन प्रशासन ने सोमवार को कहा कि चीन को पड़ोसी देशों को डराने धमकाने से बाज आना चाहिए। वाशिंगटन ने यह भी कहा कि उसने दोनों देशों की सीमा के हालात पर करीब से नजर बनाकर रखी है।
एक शीर्ष अधिकारी ने यह भी दावा किया कि वाशिंगटन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारतीय हितों के साथ खड़ा रहेगा। भारत-चीन के बीच सीमा पर हुई झड़पों के संबंध में यह बाइडन प्रशासन की पहली प्रतिक्रिया है।
व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) की प्रवक्ता एमिली जे होर्न ने कहा, ‘हमने हालात पर करीब से नजर बना रखी है। भारत तथा चीन की सरकारों के बीच चल रही वार्ता की हमें जानकारी है और हम सीमा विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए सीधी वार्ता का समर्थन करना जारी रखेंगे।’ होर्न भारतीय क्षेत्रों में घुसपैठ कर उन पर कब्जा जमाने के चीन के हाल के प्रयासों से संबंधित सवालों का जवाब दे रही थीं। उन्होंने कहा, ‘बीजिंग द्वारा पड़ोसियों को डराने-धमकाने के निरंतर प्रयासों से अमेरिका चिंतित है।’ उन्होंने कहा, ‘हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझा समृद्धि, सुरक्षा एवं मूल्यों को आगे ले जाने के लिए हम अपने मित्रों, साझेदारों और सहयोगियों के साथ खड़े हैं।’
यह भी पढ़ें: दक्षिण अफ्रीका ने ठुकराया ऑस्ट्रेलिया का निमंत्रण, सीएसए ने जाहिर की निराशा
दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर खनिजों, तेल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों में धनी है। इसकी भूमिका वैश्विक व्यापार में भी अहम है। हालांकि अमेरिका इसके विवादित जल पर दावा नहीं करता, इसने दक्षिण चीन सागर में वॉरशिप तैनात कर चीन के बढ़ते हस्तक्षेप को चुनौती दी थी।