भारतीय अर्थव्यवस्था 2022 में छुएगी बुलंदियां, 1 फरवरी को संसद में पेश होगा बजट

आर्थिक मामलों के जानकार सीए राजू शर्मा ने कहा कि नकारात्मक जीडीपी की संभावना से चिंतित होने की जरूरत नहीं है। कोरोना महामारी और अन्य समस्याओं के चलते अर्थव्यवस्था प्रभावित जरूर हुई है, लेकिन इन सारी समस्याओं को मात देते हुए यह वर्ष 2022 में बुलंदियां छुएगी।

शर्मा ने ‘हिन्दुस्थान समाचार’ से बातचीत में कहा कि केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 29 जनवरी को संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण  में इस वर्ष जीडीपी माइनस 7.7 प्रतिशत रहने की संभावना जताई गई है।यह सर्वेक्षण देश की अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति तथा सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से मिलने वाले परिणामों को दर्शाता है। 

इस सर्वेक्षण में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी -7.7 फीसदी होगी यानी इसमें 7.7 फीसदी की गिरावट आ सकती है। शर्मा ने कहा कि आगामी वर्ष देश की अर्थव्यवस्था में सुधार होगा और भारतीय अर्थव्यवस्था में ‘वी-शेप’ रिकवरी होगी। वित्त वर्ष 2021-22 में 10 से 11 फीसदी की वृद्धि का अनुमान है। 

देश के कृषि क्षेत्र में वृद्धि जारी है, जबकि कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन के चलते सेवा, विनिर्माण और निर्माण क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हुए। आगे सर्वेक्षण में कहा गया कि कोरोना महामारी ने मार्च 2020 से देश में आर्थिक गतिविधियों को बुरी तरह प्रभावित किया है। लाखों लोगों की नौकरियां चली गई हैं। 

शर्मा ने बताया कि इन सभी का मिलाजुला असर पड़ने की वजह से जीडीपी माईनस 7.7 रहने का अंदेशा जताया गया है। पर, इससे अत्यधिक निराश होने की जरूरत नहीं है। आम बजट को लेकर बाजार में भी संभ्रम फैला हुआ है। नतीजतन बजट से दो सप्ताह पहले 50 हजार का आंकड़ा पार करनेवाला सेंसेक्स लुढ़क कर 46 हजार पर आ गया है। शर्मा ने विश्वास जताया कि 2022 में भारतीय अर्थव्यवस्था इन सारी समस्याओं से उबर कर वृद्धि के साथ बुलंदियां छुएगी। शर्मा ने कहा कि कोरोना महामारी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था ये दुनिया की अकेली अर्थव्यवस्था होगी जो दो अंकों में बढ़ेगी।

बजट से प्रमुख उम्मीदें

वित्तमंत्री सीतारमण सोमवार (1 फरवरी) को वित्त वर्ष 2021-22 का आम बजट पेश करेंगी। इसको लेकर शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार को हेल्थ सेक्टर को नीतिगत सोच के केंद्र में रखना होगा। प्राईवेट हेल्थ सेक्टर के बेहतर नियमन के लिए कदम उठाना जरूरी है। साथ-साथ अन्य सेक्टरो में नियमन और सुधारों की जरूरत है। बतौर शर्मा नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (एनबीएफसी) को  ब्याज से होने वाली आय को टीडीएस से छूट देने की जरूरत है। टीडीएस से न सिर्फ पेंशनर्स को मुश्किल होती है बल्कि इससे एनबीएफसी पर भी असर पड़ता है। यह सुविधा बैंकों को मिलती है। बजट में टीडीएस और थिन कैपिटल प्रोविजन में छूट से एनबीएफसी के लिए लिक्विडिटी (तरलता) बढ़ाई जा सकती है। इसके अलावा टीडीएस के प्रावधान हटा देने से एनबीएफसी की ब्याज आय बढ़ जाएगी। साथ ही बैंकों में एटीसी लिमिट 1.50 लाख से बढ़कर 2.50 लाख हो जाएगी। शर्मा ने बताया कि बजट में सैलरी इनकम पर स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाने की जरूरत है।  स्टैंडर्ड डिडक्शन से नौकरीपेशा लोगों को बहुत राहत मिलती है। इसके तहत उनकी कुल आय से निश्चित रकम घटा दी जाती है। फिर टैक्स योग्य इनकम का कैलकुलेशन होता है। अभी सैलरी इनकम पर स्टैंडर्ड डिडक्शन 50 हजार रुपये है। सैलरी इनकम पर स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर देना चाहिए। कोरोना के चलते वर्क फ्रॉम होम को देखते हुए ऐसा करना जरूरी है।

शर्मा ने सरकार से उम्मीद जताते हुए कहा कि ईंधन को जीएसटी के दायरे में लाना जरूरी है। इस फैसले से भारतीय लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को मौलिक रूप से परिवर्तित किया जा सकता है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि लॉजिस्टिक्स भी उच्चतम रोजगार पैदा करने वाले क्षेत्रों में से एक है। ट्रान्सपोर्टेशन सेक्टर पर शर्मा ने कहा कि आमतौर पर ट्रांसपोर्टर को चालान की हार्डकॉपी ले जाना आवश्यक होता है। सरकार को ई-वे बिल डिजिटाइजेशन के माध्यम से भी इसे दूर करना चाहिए। 

बतौर शर्मा  महामारी के दौरान महत्वपूर्ण संसाधनों में से एक निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए कंप्यूटिंग प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया गया है। शर्मा ने कहा कि कंप्यूटिंग उपकरणों पर जीएसटी न्यूनतम होना चाहिए।

मेक इन इंडिया के लिए एक मजबूत शुरुआत के साथ यह दुनिया के लिए भारत में उत्पाद बनाने वाली कंपनियों के लिए कभी अधिक रोमांचक नहीं था। शर्मा ने बताया कि इस वर्ष, सरकार को भारत में उत्पाद बनाने वाली कंपनियों के लिए कर में छूट और इन कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए कर में छूट की अनुमति देनी चाहिए।

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शर्मा ने बताया कि भारत में डिजिटल संस्कृति का लगातार विकास हो रहा है, इसलिए डेटा सिक्योरिटी का एक पहलू यह है कि डेटा सुरक्षा राजस्व वृद्धि के रूप में महत्वपूर्ण है। कंपनियों के लिए भारत की डिजिटल संस्कृति को बढ़ाने के लिए एक नीतिगत ढांचा होना चाहिए। शर्मा ने कहा कि कंपनियों को मजबूत बनाने के लिए प्रोत्साहन देने से, जैसे कि टैक्स हॉलिडे या छूट या सब्सिडी, डेटा सिक्योरिटी इन्फ्रास्ट्रक्चर भारत के विकास को आगे बढ़ाएगा।