कामकाजी भाषा बनाने के लिए अवधी गद्य का विकास जरुरी

लखनऊ। ‘अवधी गद्य लेखन अपेक्षाकृत एक दुरूह विधा रही है। हाल ही में आई प्रदीप तिवारी धवल के अवधी निबंधों की अनुपम कृति अंतर्जाल मा नौनिहाल में पारम्परिक विषय के साथ ही समसामयिक प्रासंगिक विषय को लालित्य और माधुर्य के साथ तार्किक और रोचक ढंग परोसा गया है जो अवधी गद्य साहित्य को समृद्धि प्रदान करेगा।’ ये बातें रविवार को समालोचक आराध्य शुक्ल ने कहीं। वे अवधी निबंध संकलन अंतर्जाल मा नौनिहाल पर लोक संस्कृति शोध संस्थान द्वारा आयोजित परिचर्चा को सम्बोधित कर रहे थे।

रविवार को अलीगंज के केन्द्रीय भवन स्थित सभा कक्ष में आयोजित सीमा व उत्पाद शुल्क अधिकारी प्रदीप तिवारी ‘धवल’ की कृति पर केन्द्रित साहित्यिक समारोह का शुभारम्भ वरिष्ठ साहित्यकार डा. रामबहादुर मिश्र, स्माइलमैन सर्वेश अस्थाना, समालोचक आराध्य शुक्ल, कल्चर दीदी कुसुम वर्मा आदि ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

कृति पर अपनी बात रखते हुए लेखक ने बदलते सामाजिक परिवेश और उससे उत्पन्न स्थितियों को गंभीरता से लेने की आवश्यकता बतायी।

अध्यक्षीय उद्बोधन में वरिष्ठ अवधी साहित्यकार डॉ. रामबहादुर मिश्र ने कहा कि अंतर्जाल मा नौनिहाल नामक यह संकलन न केवल समस्याओं और जटिलताओं को सामने लाता है अपितु समाधान भी प्रस्तुत करता है। उन्होंने अवधी को कामकाजी भाषा बनाने के लिए उसके गद्य का विकास किये जाने पर जोर दिया।

स्माइलमैन सर्वेश अस्थाना ने अंतर्जाल मा नौनिहाल को अवधी साहित्य की अमूल्य थाती और उसे युवा पीढ़ी के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि इसमें इंटरनेट की बढ़ती लत, कोरोना महामारी, प्राकृतिक संसाधनों के दोहन, जनसंख्या विस्फोट, बुजुर्गों की दयनीय स्थिति जैसे ज्वलन्त विषय सम्मिलित हैं जो अवधी गद्य को सामयिकता से जोड़ते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त लोक गायिका कुसुम वर्मा ने सरस्वती वन्दना सुमिरन करबै तोहार महारानी से कार्यक्रम का शुभारम्भ किया तथा अवधी गीत बेटी तो धान कै फसल सुनाया। संस्कृतिकर्मी एस.के.गोपाल ने संचालन किया। लोक संस्कृति शोध संस्थान की ओर से राजनारायण वर्मा, शिवेन्द्र पटेल ने अतिथियों का स्वागत किया।
कार्यक्रम में सर्वश्री सर्वेश माथुर, मंजू श्रीवास्तव, जितेन्द्र पाठक, अमर उपाध्याय, विश्वम्भरनाथ अवस्थी उर्फ पप्पु भैया, राजेश द्विवेदी, हलधर गोण्डवी, अवधी बानी के हिमांशु श्रीवास्तव, संजय कुमार वर्मा, गौरव दीक्षित, सार्थक शुक्ल, यथार्थ और कस्टम विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों सहित अन्य मौजूद रहे।